देश में चुनाव का मौसम चल रहा है और इस चुनावी मौसम में अगर आप किसी से देश की गंभीर समस्याओं के बारे में पूछेंगे तो जवाब होंगे रोटी, कपड़ा, मकान, महंगाई, पानी और बिजली… क्यों सही कहा न? मगर अगर हम ये कहें कि एक महिला ऐसी है जिसके लिए देश और दुनिया की सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण है और अपनी प्रकृति को बचाने के लिए वो बिना बिजली के सालों से रह रही है, तो क्या आप विश्वास करेंगे? शायद नहीं क्योंकि इस भीषण गर्मी में एक घंटा क्या 1 मिनट भी बिना बिजली के रहना मुश्किल है. मगर एक ये एक ऐसी महिला है, जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी बिजली के बिना ही बिताई है.
इस महिला का नाम डॉ. हेमा साने है और इनकी उम्र 79 साल है. डॉ. हेमा सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी हैं और वह कई वर्षों तक गरवारे कॉलेज पुणे में प्रोफ़ेसर थीं. इतना ही नहीं वो वनस्पति विज्ञान और पर्यावरण पर कई किताबें भी लिख चुकी हैं. पर्यावरण पर उनके पास इतना ज्ञान है कि शायद ही कोई पक्षी और पेड़-पौधे की प्रजाति होगी, जिसके बारे में वो नहीं जानती होंगी. डॉ. हेमा साने पुणे में बुधवार पेठ स्थित अपने घर में बिना बिजली के ही रहती हैं. प्रकृति के प्रति ये उनका प्यार ही है कि वो कभी भी इलेक्ट्रीसिटी यानि बिजली का इस्तेमाल नहीं करती हैं.
ANI ने इनके बारे में अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट शेयर की है:
Maharashtra: Dr Hema Sane, a 79-year old former professor has been living in a house without electricity in Budhwar Peth, Pune all her life. Says “Food, shelter&clothing are the basic needs.Once upon a time there was no electricity,it came much later,I can manage without it”(7.5) pic.twitter.com/wiKYA3aBBv
— ANI (@ANI) May 7, 2019
ANI के अनुसार, डॉ. हेमा साने कहती हैं:
भोजन, कपड़ा और मकान बुनियादी ज़रूरतें हैं. एक समय था जब बिजली नहीं थी, बिजली तो काफ़ी देर बाद आई. मैं बिना बिजली के सब कुछ कर लेती हूं.’ मेरी ये संपत्ति मेरे कुत्ते, दो बिल्लियों, नेवले और बहुत सारे पक्षियों की है. यह उनकी संपत्ति है, मेरी नहीं. मैं यहां सिर्फ़ उनकी देखभाल के लिए हूं.
डॉ. हेमा आगे कहती हैं कि,
लोग मुझे मूर्ख बुलाते हैं. मैं पागल हो सकती हूं, मगर मेरे लिए यह मायने नहीं रखता है, क्योंकि मेरे जीवन जीने का यही बेबाक तरीका है. मैं अपनी पसंद के अनुसार ही ज़िन्दगी जीती हूं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. हेमा बुधवार पुणे के पेठ इलाके में स्थित एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं. और उनके घर के चरों तरफ तरह-तरह के पेड़-पौधे लगे हुए हैं. जिन पर कई प्रजातियों की चिड़िया रहती हैं. इस सुन्दर चिड़ियों की आवाज़ हर सुबह उनके कानों में गूंजती हैं और दिए की रौशन से उनका घर रौशन होता है.
डॉ. साने कहती हैं कि ‘मुझे कभी अपनी ज़िन्दगी में बिजली की कमी का एहसास नहीं हुआ. लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसे बिना बिजली के जीवन जी लेती हूं, तो मैं उनसे पूछती हूं कि आप कैसे बिजली के साथ ज़िन्दगी जी रहे हैं?’
‘ये पक्षी मेरे दोस्त हैं. जब भी मैं अपने घर का काम करती हूं, वो आ जाते हैं. अक्सर लोग मुझसे कहते हैं कि आप अपने घर को बेच क्यों नहीं देती हैं बहुत पैसे मिल जाएंगे. और मेरा जवाब होता है कि इन पेड़-पौधों और पक्षियों की देखभाल कौन करेगा. मैं यहां से नहीं जाना चाहती. मैं इन सबके साथ यहीं रहना चाहती हूं.’
भले ही लोग डॉ. साने को दिमाग़ी रूप से बीमार कहते हैं, लेकिन उनका कहना है,
मैं किसी को कोई संदेश या सबक नहीं देती, बल्कि मैं भगवान बुद्ध के प्रसिद्ध उद्धरण को दोहराती हूं, जो कहता है कि ‘हमें अपने जीवन में अपना रास्ता ख़ुद खोजना है.