गांव का नाम सुनते ही आज भी लोगों के दिमाग में गरीबी, कच्चे घर, अशिक्षित लोगों की तस्वीर बन जाती है. लेकिन आपको बता दें कि सभी गांव ऐसे नहीं है, चीन का एक गांव ऐसा भी है,जो बड़े-बड़े शहरों को भी पीछे छोड़ दे. इस गांव के लोग गरीब नहीं, बल्कि बेहद अमीर हैं.

ये गांव चीन के उत्तरी तट के पास बसे जियांगयिन शहर में है और पूरे देश में सबसे अमीर कृषि गांव है. इस गांव में रहने वाले सभी 2000 लोगों की सलाना आमदनी एक लाख यूरो (करीब 80 लाख रुपए) है. हुआझी गांव आज एक सफल समाजवादी गांव का मॉडल पेश कर रहा है.

हालांकि शुरुआती दौर से गांव की तस्वीर ऐसी नहीं थी. दरअसल 1961 में स्थापना के बाद यहां कृषि की हालत बहुत खराब थी. लेकिन गांव की कम्युनिस्ट पार्टी कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रहे ‘वू रेनवाओ’ ने इस गांव की सूरत ही बदल दी.

वू ने औद्योगिक विकास की योजना के लिए पहले गांव का निरीक्षण किया और फिर एक मल्टी सेक्टर इंडस्ट्री कंपनी बनाई. उन्होंने सामूहिक खेती की प्रणाली का नियम बनाया. इसके साथ ही 1990 में कंपनी को शेयर बाजार में रजिस्टर करवाया. गांव के लोगों को कंपनी में शेयर होलडर बनाया गया.

गांव की स्टील, सिल्क और ट्रैवल इंडस्ट्री खास तौर पर विकसित हैं और इसने 2012 में मुख्य रूप से 9.6 अरब डॉलर के फायदे का योगदान दिया. गांव के लोगों के लाभ का हिस्सा कंपनी में शेयर होल्डर निवासियों के बीच बांटा जाता है.

एक वेबसाइट के मुताबिक उनकी वार्षिक आय का एक बड़ा हिस्सा, यानि 80% टैक्स में कट जाता है, लेकिन इसके बदले में रजिस्टर्ड नागरिकों को बंगला, कार, मुफ्त स्वास्थ्य, सुरक्षा, मुफ्त शिक्षा, शहर के हेलिकॉप्टर का मुफ्त इस्तेमाल के साथ ही होटलों में मुफ्त खाने की सुविधा भी मिलती है.

50 साल के ज्यादा उम्र की महिला और 55 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों को हर महीने की पेंशन के साथ ही चावल और सब्जियां भी दी जाती हैं. रजिस्टर्ड लोगों में गांव के वो पुराने लोग शामिल हैं, जो इसकी स्थापना के वक्त से ही यहां रह रहे हैं और कंपनी का हिस्सा हैं. इनके पास कंपनी में शेयर होलडर्स होने के सर्टिफिकेट भी हैं. हालांकि इनके अलावा यहां 20 हज़ार से ज्यादा शरणार्थी मजदूर भी हैं, जो पड़ोसी गांव से आकर यहां रह रहे हैं.

ये गांव हाईटेक शहर से कम नहीं हैं. 2011 में बनकर तैयार हुआ 74 फ़्लोर्स का लॉन्ग्झी इंटरनेशनल होटल यहां की शान और बढ़ा देता है. इस होटल को बनाने के लिए कोई कर्ज़ नहीं लिया गया है, बल्कि ये गांव के लोगों के सहयोग से ही तैयार हुआ है. इसके अलावा भी यहां सभी तरह की सुख-सुविधाएं मौजूद हैं.

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