10 मई 1857… रविवार का दिन. छुट्टी का दिन था और भारत पर कब्ज़ा जमाए बैठी अंग्रेज़ी सरकार के सिपाही ड्यूटी पर नहीं थे. पूरे भारत की तरह मेरठ कैंट में भी यही हाल था. मौका देखकर भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया. हिन्दुस्तान को आज़ाद करवाने की ये पहली लड़ाई थी. मेरठ कैंट में लगभग 50 अंग्रेज़ मर्द, औरत और बच्चे मारे गए.
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1857 की क्रांति कोई 1 दिन, 1 महीने या 1 साल की योजना का नतीजा नहीं थी. ये तो जवाब था, वर्षों से ग़ुलामी की ज़ंज़ीरों में जकड़े हिन्दुस्तानियों का.
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आज़ादी की पहली क्रांति में भारत के कई क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया था. सभी क्रांतिकारियों ने सर्वसम्मति से बहादुर शाह ज़फर द्वितीय को क्रांति का नेता चुना था.
1) पेशवा नाना साहेब
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नाना साहेब ने कानपुर में हुए विद्रोह का नेतृत्व किया था.
2) तांत्या टोपे
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नाना साहेब के करीबी और 1857 के जाबांज़ क्रान्तिकारी.
3) मुम्मू खान
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मुम्मू खान ने लखनऊ में हुए विद्रोह में हिस्सा लिया.
4) बख़्त खान
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क्रान्ति में भारतीय सिपाहियों के कमांडर-इन-चीफ़ थे बख़्त खान.
5) उदा देवी
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उदा देवी ने सिंकदर बाघ के युद्ध में हिस्सा लिया था. पीपल के पेड़ पर चढ़कर उन्होंने 32 अंग्रेज़ों को मार गिराया था.
6) बेग़म हज़रत महल
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अवध की बेग़म हज़रत महल. 1857 की क्रान्ति के दौरान लखनऊ में उन्होंने अग्रेज़ों के झंडे को ज़मीनदोज़ किया था.
7) मौलवी मोहम्मद बक़ीर
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‘दिल्ली उर्दू अख़बार’ के एडिटर जिन्होंने विद्रोह में हिस्सा लिया.
8) अवध के नवाब माहदी खान
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क्रान्ति के कई सेनापतियों में से एक
9) नवाब तफ़ाज़्ज़ुल हुसैन खान
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फ़ार्रुख़ाबाद के नवाब ने क्रान्तिकारियों की सहायता की थी.
10) रानी लक्ष्मी बाई
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी तो हम बचपन से सुनते-सुनते बड़े हुए हैं.
11) पीर अली खान
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पीर अली ने 3 जुलाई 1857 को पटना में क्रान्ति की शुरुआत की थी.
1857 की क्रान्ति में कई चेहरे थे, जो शायद कभी किसी किताब, किसी शेर, किसी कविता का हिस्सा नहीं बन पाए. सभी क्रान्तिकारियों को श्रद्धांजलि.
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