साहिर लुधियानवी का ये शेर यूं, तो आपने पहले भी पढ़ा होगा. पर एक लड़की है, जिसने इसे सच कर दिखाया है. कमाल की बात ये है कि उसने कॉलेज की परीक्षा के साथ-साथ, ज़िंदगी के सारे इम्तेहान पास कर के आपने मां-बाप के सपने को साकार कर दिखाया है.
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें,वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं.
इस लड़की ने ज़माने की रूढ़िवादी सोच को तोड़कर ये साबित कर दिया कि बेटियां भी कुल का नाम रौशन कर सकती हैं. समझ नहीं आ रहा कि इस हिम्मतवाली लड़की की कहानी कहां से शुरू करूं. ख़ैर, ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसके परिवार में महिलाएं काम करके घर चलाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ देती थी.
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मुंबई की रहने वाली इस लड़की की ज़िंदगी में भी ऐसे ही हालात आए, जब उसे घर की ख़राब आर्थिक स्थिति देखते हुए नौकरी करने की सलाह दी गई. लड़की ने भी परिवार का पूरा ख़्याल रखा और पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम जॉब ढूंढने लगी. इस दौरान अंडर ग्रेजुएट होने की वजह से उसे कई रिजेक्शन भी फ़ेस करने पड़े.
कई मुश्किलों के बावजूद वो हार नहीं मानी और आखिर उसे Brand Factory में अपनी शर्तों पर जॉब मिल गई, उसने दिन-रात मेहनत की. हांलाकि, नौकरी और कॉलेज के बीच उसे उसके घर की तरफ़ से पढ़ाई छोड़ने की सलाह भी दी गई, ताकि उसकी हेल्थ न ख़राब हो पर उसने अपने दिल की सुनी. इस जांबाज़ लड़की ने पढ़ाई और नौकरी दोनों को अपना बेस्ट दिया.
इसके बाद वो दिन आ ही गया, जब उसके एक हाथ में डिग्री और दूसरे हाथ में असिस्टेंट HR मैनेजर का प्रोमशन लेटर था. आज उसके मम्मी-पापा को अपनी बेटी पर गर्व है. इस होनहार बेटी के लिए सबसे ख़ुशी का पल वो था, जब उसके पिता ने उससे कहा कि ‘लोग हमेशा बेटे के लिए प्रार्थना करते हैं, पर तुमने दिखा दिया कि बेटी भी चुपचाप उन सभी प्रार्थनाओं का उत्तर दे सकती है.’
सच में अगर आप में अपने सपनों को पूरा करने की चाहत हो, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. इसके साथ ही ये भी जान कर ख़ुशी हुई कि लड़कियों को लेकर ज़माने की सोच बदल रही है.