अक्सर महिलाओं की ड्राइविंग स्किल्स पर सवाल उठाया जाता है, इस बेतुके विचार को रोज़मर्रा ग़लत साबित करने के लिए कई महिलाएं संघर्ष कर रही हैं और कर भी रही हैं.  


मिलिये बाइकर मित्सु चावड़ा से 

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मित्सु ने Paraplegic Soldiers (युद्ध की वजह से पैरालाइज़्ड) हो चुके जवानों के प्रति देशवासियों को जागरूक करने के लिए ‘Ride for Soldiers’ नाम से बाइक ट्रिप की.

मित्सु ने 23 राज्यों के 102 शहरों के चक्कर लगाया. अकेले बाइक से मित्सु ने 17000 किलोमीटर का सफ़र तय किया. Life Beyond Numbers से बात-चीत करते हुए मित्सु ने कहा,

मुझे लगता है कि आज के युवा में भावनाओं की कमी है और वो छोटी-छोटी बात पर ही हार मान लेते हैं- जैसे परीक्षा में फ़ेल होना, एक बुरा रिलेशनशिप, या फिर फ़ोन न मिलना. ये उनके लिए दुनिया ख़त्म होने जैसा है और कुछ ज़िन्दगी ख़त्म करने की भी सोचते हैं. इसलिए मुझे लगा कि युवाओं को Paraplegic जवानों के बारे में जागरूक करवाना चाहिए, जो अपने बारे में नहीं सोचते और राष्ट्र की रक्षा में ज़ख़्मी भी हो जाते हैं. 

-मित्सु चावड़ा

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गुजरात के सूरत की मित्सु ने जब ये ट्रिप किया तब वो 25 साल की थीं. 


मित्सु ने सूरत में ही OLX पर एक सेकेंड-हैंड बाइक ख़रीदी और बाइक सीखी और अगले ही दिन अपने सफ़र पर निकल पड़ी.  

एक ट्रेन्ड ड्राइवर को सूरत से मुंबई पहुंचने में 5 घंटे लगते हैं, मुझे 11 घंटे लगे. 

-मित्सु चावड़ा

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मित्सु के एक Wheel-Chair Bound आर्मी के दोस्त ने ये बाइक ट्रिप करने के लिए इंस्पायर किया.


अपने ट्रिप के दौरान, मित्सु कई शैक्षणिक संस्थानों में भी गईं और जवानों के बारे में बात की. 

मित्सु ने पुणे स्थित Paraplegic Rehabilitation Centre में 2 लाख रुपये डोनेट भी किये. मित्सु के जज़्बे को सलाम!