कॉलेज के आखिरी वर्ष की छुट्टियों में कुछ दोस्तों के साथ केरल जाने का प्लान बना था. दक्षिण भारत के इस खूबसूरत राज्य में इससे पहले कभी जाना नहीं हो पाया था. यहां बिताया गया समय मेरी ज़िंदगी के सबसे यादगार समय में से था. लेकिन वहां हुई एक घटना का रहस्य आज तक भी बरकरार है. दरअसल केरल के शहर कोडाइकेनाल की एक खूबसूरत जगह पर मुझे महसूस हुआ था कि मैं यहां पहले भी आ चुका हूं. वो जगह काफ़ी जानी-पहचानी लग रही थी और ये फ़ीलिंग इतनी ज़्यादा प्रभावशाली थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरा दिमाग आखिर क्यों मुझे इस तरह का एहसास करा रहा है. जबकि मैं तो लाइफ़ में पहली बार इस जगह पर पहुंचा था.
दरअसल ये एहसास कोई दिमागी वहम नहीं था, बल्कि डेजा वू था. डेजा वू (Deja Vu) फ़्रेंच भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है ‘पहले देखा गया’. डेजा वू आपको ये एहसास दिलाता है कि, जो चीज़ वर्तमान में हो रही है, या जिसे आप महसूस कर रहे हैं वह पहले भी हो चुकी है. इसका एहसास कई बार इतना शक्तिशाली होता है कि हमारा दिमाग यह समझ ही नहीं पाता ऐसा पहले सच में हुआ है भी या नहीं.
‘डेजा वू’ एक मानसिक स्थिति है और इसे किसी भी तरह से दिमागी बीमारी का दर्जा नहीं दिया जा सकता. माना जाता है कि 15 से 25 साल की उम्र में डेजा वू होने की संभावना काफ़ी ज़्यादा होती है.
कई साइकोलॉजिस्ट्स और वैज्ञानिकों ने देजा वू के रहस्य को समझने की कोशिश की है लेकिन ज़्यादातर मामलों में वैज्ञानिक नाकाम रहे हैं. इसका प्रभाव कई बार इतना ज़्यादा शक्तिशाली होता है कि कई लोगों ने इसे दिमागी बीमारी तक से जोड़ना चाहा. खास बात ये है कि कई रिसर्चर्स डेजा वू के इस रहस्यमयी Concept को लेकर अनोखी थ्योरीज़ के साथ सामने आते रहे हैं.
डेजा वू के पीछे है आपके सपनों का हाथ
एक थ्योरी की मानें तो ‘डेजा वू’ के पीछे हमारे सपनों का हाथ होता है. दरअसल सोने से पहले हमारे दिमाग में कई बातें होती हैं, इनमें से कई बार आपकी यही बातें सपनों में तब्दील हो जाती हैं. सुबह उठने पर अगर आप इस सपने की केवल धुंधली यादों के साथ उठते हैं और निजी ज़िंदगी में उस सपने से जुड़ी चीज़ों से आपका सामना होता है तो आपको डेजा वू फ़ील हो सकता है.
उदाहरण के लिए आपने सपने में देखा कि आप कहीं घूमने के लिए जा रहे हैं. चूंकि ये हमारी दिनचर्या का सामान्य हिस्सा है इसलिए हमारा दिमाग इसे यादों के रूप में संजो कर रख लेता है. बाद में जब असल ज़िंदगी में हमारे साथ वैसे ही कुछ घट रहा होता है, तो हमें ऐसा लगता है कि यह सब पहले भी कहीं देखा है और भ्रम की स्थिति पैदा होने लगती है.
पूर्व जन्म की यादें?
दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जो पुन्रजन्म में विश्वास करते हैं. माना जाता है कि हम मरने के बाद एक नया जन्म लेते हैं, और जब हमारा नया जन्म होता है, तो हम अपने पूर्व जन्म के बारे में सब भूल जाते हैं. लेकिन इसके कई अपवाद भी हैं. मसलन कई लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने पिछले जन्म की सारी बातें याद हैं. पूर्व जन्म में मानने वालों का कहना है कि हमारी नई जिंदगी में भी हमारा दिमाग पिछले जन्म की कुछ यादें रखता है. ऐसे में जब हम पिछले जन्म से जुड़ी किसी चीज़ को देखते या महसूस करते हैं तो हमें डेजा वू होता है.
Glitch थ्योरी
ये थ्योरी दरअसल डेजा वू की सबसे जटिल और क्रेज़ी थ्योरिज़ में से एक है. आमतौर पर डेजा वू हमारे लिए एक छोटा सा हादसा होता है, जिसको हम जल्द ही भूल जाते हैं. पर इस थ्योरी की मानें तो डेजा वू कोई साधारण घटना नहीं बल्कि हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है.
इस थ्योरी की मानें, तो डेजा वू कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत है. दरअसल समय एक छलावा है, एक तरह की Alternate Consciousness. समय को हमने अपने कंफ़र्ट के हिसाब से बनाया है और ये कोशिश जीवन को सरल बनाने के लिए की गई है. डेजा वू हमें इस छलावे से निजात दिलाता है. भूत, भविष्य, वर्तमान हम तीनों को एक साथ जीते हैं. इसलिए डेजा वू का आभास होने पर ऐसा लगता है कि यह पहले भी कहीं हो चुका है.
यादों का होता है हकीकत से मेल
डेजा वू के दौरान दिमाग दो तरह की यादों पर ध्यान केंद्रित करता है. एक तो वो, जिनके बारे में हम पहले से ही जानते हों, यानि जो हमने पहले भी कहीं देखी हो. जैसे कोई दोस्त, कोई जगह, जहां हम अक्सर जाते हों. दूसरी वो जिसे हमने पहले भले ही न देखा हो, पर हमें उसे देखकर ऐसा महसूस होता है, जैसे कि वह पहले भी हो चुकी है. पहली स्थिति में दिमाग हमें सही जानकारी देता है, क्योंकि हमने वह चीज़ पहले भी देखी हुई है और उसकी यादें हमारे दिमाग में होती है. पर दूसरी स्थिति में ऐसा नहीं होता क्योंकि इसमें हमारा दिमाग उस चीज़ को अपना सा महसूस करवाता है, जिसकी असल में हमारे पास कोई याद है ही नहीं.
Parallel Universe या समांतर ब्रह्रांड
समांतर ब्रह्मांड यानि पैरेलल यूनिवर्स की थ्योरी काफी समय से चर्चा में रही है. विशेषज्ञों से लेकर वैज्ञानिकों तक का मानना है कि अन्तरिक्ष में बहुत सारे ब्रह्मांड हैं, जिनके आधार पर हर तरह का जीवन चलता रहता है. हमारे ब्रह्मांड में जिस प्रकार से चीज़ें हो रही हैं, उसी हिसाब से दूसरे ब्रह्मांडों में अलग प्रकार से ज़िंदगियां चल रही होंगी. लेकिन ज़ाहिर है हर ब्रहांड के हिसाब से समय अंतर होता ही है.
इस थ्योरी को मानने वालों का कहना है कि डेजा वू का हमें एहसास इसलिए होता है, क्योंकि उस वक़्त दूसरे ब्रह्मांड की और हमारी समय की रेखा एक दूसरे को काटती हुई गुज़रती है. इसी वजह से जो घटना दूसरे ब्रह्मांड में हो चुकी होती है, वह हमें यहां डेजा वू के रूप में दिखता है. कई विशेषज्ञ इस थ्योरी को डेजा वू के रहस्य के काफ़ी करीब मानते हैं पर वैज्ञानिकों के पास इसके पक्के सबूत नहीं हैं.
Unconscious Mind है डेजा वू का ज़िम्मेदार
ग्रांट एट एल नाम के एक प्रयोग से पता चला है कि हमारे अचेत मन यानि Unconscious Mind में कुछ यादें भी कैद रहती हैं, जो फिर उजागर हो सकती हैं. माना जाता है कि अगर किसी माहौल को फिर से वैसे ही बनाया जाए जैसा कि पहले कभी हुआ हो तो यादें दोबारा ताज़ा हो सकती हैं. उदाहरण के रूप में अगर आप किसी जगह पर बार-बार जाते हो, तो आपका अचेत मन उस जगह की यादें बना लेगा और अगर फिर आप कभी किसी वैसी ही जगह पर जाते हैं तो, अचेत मन उन यादों को दोबारा जीवित कर देता है और आपको आभास होता कि यहां आप पहले भी आ चुके हैं.
ध्यान विभाजन थ्योरी
इसकी थ्योरी अचेत मन यानि Unconscious Mind से मिलती जुलती है. इस थ्योरी के मुताबिक, सचेत और अचेत मन दोनों एक साथ काम करते हैं. इस परिस्थिति में हमें डेजा वू का एहसास होता है. इस थ्योरी में Unconscious Mind हमें एहसास दिला रहा होता है कि यह चीज़ पहले हो चुकी हैं. जबकि Conscious Mind यानि सचेत मन इस बात को मानने से इंकार करता है. इस कारण डेजा वू की संभावना होने लगती है और इस दिमागी उधेड़बुन में हम कंफ्यूज़ हो जाते हैं कि जो हम देख रहे हैं, वो पहले भी हमारे साथ घटित हुआ है या नहीं.