सपनों की रहस्यमयी दुनिया हमेशा से ही मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रही है. सपनों में दिखने वाली चीज़ों को लेकर कई तरह की व्याख्याएं भी सामने आती रही हैं, लेकिन सच यही है कि आज भी इस मायावी दुनिया को लेकर पूरे विश्वास के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता.

कुछ सपने निजी होते हैं, कुछ ज़िन्दगी के अच्छे-बुरे मौकों का निचोड़, कुछ हमारी कल्पना का विस्तार होते हैं, तो कई बार ऐसे भी सपने दिखते हैं, जिन्हें लेकर लोगों के अलग-अलग परिप्रेक्ष्य हो सकते हैं.

लेकिन क्या हो, अगर सपनों की इस दुनिया को कोई तस्वीरों पर उतारने की कोशिश करे तो?

इस्तानबुल के विज़ुअल आर्टिस्ट हुसैन साहिन न केवल तस्वीरों को जोड़कर एक पैराडॉक्स बनाने की कोशिश करते हैं, बल्कि वास्तविकता और काल्पनिक दुनिया को जोड़ने में भी कामयाब रहे हैं.

1. सपनों की दुनिया में कुछ भी संभव है

2. वो जगह जिसने समय को भुला दिया

3. सपनों की दुनिया एक पैराडॉक्स है

4. ये सफ़र भले सुहाना है, पर इस डगर पर चलने का साधन कुछ अंजाना है

5. सतह की कहानियां अक्सर इसकी गहराइयों से अलग होती है

6. ये तो केवल सपने में हो सकता है

7. समुद्र को त्यागकर रेगिस्तान में मिली ज़िंदगी

8. सपनों की दुनिया को देखने के अलग-अलग होते हैं Perception

9. सपनों के झूले कब हमें दूसरी दुनिया में ले जाए, किसी को नहीं पता

10. ये दुनिया ग्रैविटी को भी मात दे सकती है

11. सपना या खूबसूरत हकीकत?

12. जन्नत के रास्तों में मुश्किलें तो आनी ही है

13. ख्व़ाब हो तुम या कोई हकीकत

14. विरोधाभासी दुनिया 

15. दूसरी दुनिया का द्वार?

16. एक शहर की त्रासदी

17. कर लो दुनिया मुठ्ठी में

18. दरकता समय, बिखरता इंसान

19. सपनों की उधेड़बुन

20. जैसे पथरीले पहाड़ों को बर्फीला बनाने की कवायद चल रही हो

21. हम होंगे कामयाब

22. चमकीली दुनिया के अंधेरे रास्ते

23. सफ़र में अगर ऐसे हालात हों, तो समझो कोई बुरा सपना है

24. वर्चुअल दुनिया के पार भी एक दुनिया है

25. सपने क्या कभी सामान्य हो सकते हैं?

26. बागों में बहार है?

27. मुझे छोड़ दो मेरे हाल पे, ज़िंदा हूं यार काफ़ी है

28. उजालों के सन्नाटे

29. धुंधलाता कोहरा और भागती ज़िंदगी

30. स्कॉर्पियन द्वीप

31. राह कठिन है, पर हिम्मत नहीं हारी है

32. आकाश के पर्वतों पर रंग भरते ये गुब्बारे

33. एक भयानक सपना 

34. वाई जेनरेशन का सबसे डरावना सपना

35. सभ्यताओं की बेड़ियां तोड़ते सपने

36 ज़ार ज़ार ज़िंदगी

37. शहरी भागदौड़ और भौतिकवादी संघर्ष 

38. स्वागत है सपनों के शहर में

39. कैमरे के कैनवास पर टूटते ‘सपने’

40. सपनों और ज़िंदगी के बीच झूलते ये अंधेरे लम्हें