नवाबों का शहर लखनऊ… यहां की बोली में जितनी मिठास है, उतने ही स्वादिष्ट हैं यहां के पकवान. आप शाकाहारी हो या मांसाहारी, अगर आप फ़ूडी हैं तो ये शहर आपकी ‘स्वाद कलिकाओं’ को तृप्त कर देगा.


लखनऊ में और क्या-क्या ख़ास है, ये जानने के लिए इस लिंक पर जाएं.  

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इस शहर के कई ख़ासम-ख़ास बातों में से एक है ‘बड़ा मंगल’. 

जेठ महीने के हर मंगलवार को ‘बड़ा मंगल’ मनाया जाता है. हर हनुमान मंदिर को अच्छे से सजाया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालु शहर के अलग-अलग हिस्सों में भंडारा लगाते हैं जिसमें, छोले-चावल, हलवा-पूड़ी, आलु-कचौड़ी, खस्ता-जलेबी, कढ़ी-चावल आदि बांटा जाता है.


शहर के कई मुस्लिम परिवार भी ‘बड़ा मंगलवार’ पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन करते हैं.  

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अलीगंज के हनुमान मंदिर की दिलचस्प कहानी 

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श्रद्धालु यूं तो हर हनुमान मंदिर के दर्शन करते हैं पर अलीगंज के हनुमान मंदिर की अलग विशेषता है. कहा जाता है कि अलीगंज के हनुमान मंदिर से ही ‘बड़ा मंगल’ मनाने की शुरुआत हुई थी.


कहते हैं कि अवध के तीसरे नवाब, शुजा-उद-दौलाह की दूसरी बेगम जनाब-ए-आलिया को एक दिव्य शक्ति के मौजूद होने के ख़्वाब आया. सपने में उन्हें एक ख़ास जगह पर हनुमान जी की मूर्तियां होने के आभास हुआ. बेगम आलिया ने वहां खुदाई करवाई और वहां से हनुमान की मूर्ति निकली. बेगम ने मूर्ति को लखनऊ ले जाने की व्यवस्था की. जिस हाथी पर मूर्ति को ले जाया जा रहा था, वो लखनऊ के रास्ते में एक जगह बैठ गया और तमाम कोशिशों के बाद भी उस स्थान से नहीं उठा. बेगम ने फिर वहीं पर हनुमान जी की मंदिर बनाने का आदेश दिया, वहीं पर आज अलीगंज का हनुमान मंदिर है.   

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एक अन्य कहानी के मुताबिक, सपने में बेगम आलिया से ये भी कहा गया था कि मंदिर बनवाने पर उन्हें पुत्र प्राप्ति होगी. मंदिर बनवान के बाद बेगम को पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने मंगत राय फ़िरोज़ शाह रखा. 

लखनऊ की ये प्रथा, सांप्रदायिक एकता का बहुत अच्छा उदाहरण है. अगर कभी जेठ के महीने में लखनऊ जाएं, तो इस अनोखे मंगलवार का अनुभव ज़रूर लें.