ज़िन्दगी हमेशा एक जैसी नहीं रहती. अगर इस पल आपके माथे पर ग़म की सिलवटें हैं, तो अगले ही पल आपके चेहरे पर खुशी की लहर भी दौड़ सकती है.

रोज़ नई चिंताएं, रोज़ नए इम्तहान, लेकिन जीना इसी का नाम है. ये एक बात ही तो ज़िन्दगी को मौत से अलग बनाती है.

बात जब ज़िन्दगी के इम्तहान की हो, तब वो कितना कठिन होगा, इसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता. कई बार इंसान उन इम्तहानों से हार जाता है और ज़िन्दगी का साथ छोड़ देता है, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जीत जाते हैं और दूसरों को जीने का सलीका सिखाते हैं.

ऐसी ही एक शख़्सियत हैं महिमा. ये है उनकी कहानी-

24 अप्रैल 2017 की सुबह महिमा नींद से जागीं. ऑफ़िस जाने के लिए बिस्तर से उठने ही वाली थीं कि उनके सिर में हल्का-हल्का दर्द होने लगा. थोड़ी देर के लिए फिर से सो गईं. लगभग 10-15 मिनट उन्होंने बिस्तर से उठने की हिम्मत जुटाई. सिर में हो रहे हल्के दर्द के कारण उन्हें हर काम करने में काफ़ी आलस आ रहा था.सोमवार की वो सुबह दूसरे दिनों की अपेक्षा ज़्यादा मुश्किल लग रही थीं. उन्हें ऑफ़िस जाने के लिए तैयार होना किसी पहाड़ चढ़ने जैसा लग रहा था. उन्हें सब कुछ धुंधला दिखाई दे रहा था.महिमा के Uncle उन्हें अच्छे से जानते थे और ये भी जानते थे कि महिमा बिना किसी कारण ऑफ़िस बंक करने में विश्वास नहीं करती. उन्होंने महिमा के लिए वो सब किया जो उन्हें मुनासिब लगा. उन्हें लग रहा था गर्मी के कारण महिमा की तबियत खराब हुई है. उन्होंने आम पन्ना से लेकर नींबू पानी तक सब कुछ बनाया. लेकिन महिमा जो भी पीती सब उगल देतीं. उनकी हालत हर पल बिगड़ रही थी. उन्हें इतनी ज़्यादा उल्टियां हो रही थी कि बिस्तर से उठने के चक्कर में उन्हें कई जगह चोटें भी आईं.महिमा को समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा, वो परेशान होकर रोने लगीं. उनके सिर का दर्द धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल रहा था. धीरे-धीरे उन्हें ऐसा लगने लगा जैसे उनके शरीर का दाहिना हिस्सा बेजान हो चुका है. Washbasin तक जाना किसी जंग पर जाने जैसा लगने लगा. वो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी. उनके शरीर का दाहिना हिस्सा बेजान पड़ा था और बांया हिस्सा कांप रहा था.’मुझे और मेरे अंकल को समझ नहीं आ रहा था कि मुझे हुआ क्या है? मेरे अंकल को ये तो पता चला था कि ये गर्मी के कारण नहीं है, उन्होंने Ambulance को फ़ोन किया और मुझे अस्पताल में भर्ती किया गया.’अस्पताल में भर्ती होने के 3 दिनों के अंदर महिमा ICU में भर्ती हो गईं. डॉक्टर्स ने बताया कि उन्हें Cerebral Thrombosis हो गया है. उनका दाहिना शरीर Paralyzed हो गया था.उन्हें ये एहसास दिलाया गया कि अगर कोई चीज़ उन्हें ठीक कर सकती हैं तो वो है दृढ़ इच्छाशक्ति. Proper Diet, Physiotherapy और खुशहाल रहने से ही उनकी हालत ठीक हो सकती थी.लेकिन रोज़मर्रा के कामों के लिए भी उन्हें लोगों की मदद की ज़रूरत होती थी.कुछ महीनों बाद उनके शरीर में इतनी शक्ति आई कि वो अपना फ़ोन उठा सकें. सबसे पहले उन्होंने गूगल कर के ये देखा कि उन्हें आखिर हुआ क्या था. उस वक़्त भी उनके लिए फ़ोन उठाना 50 किलो के वज़न को उठाने जैसा था.उन्हें 6 महीने लगे अपनी ज़िन्दगी दोबारा शुरू करने में. उन्हें बिस्तर से उठने से लेकर ख़ुद से खाना खाना तक दोबारा सीखना पड़ा.

महिमा ने भी एक ग़लती की थी. उन्हें अकसर सिर में हल्का दर्द रहता, उन्होंने इस बात को सिरे से Ignore किया था.

महिमा की कहानी प्रेरणादायक है. हमारे लिए भी और उन लोगों के लिए भी जिन्हें लगता है कि कुछ ख़ास मर्ज़ों की कोई दवाई नहीं होती.

क्या है Cerebral Thrombosis ?

Premiere Brain and Spine

सामान्य रूप में समझें तो ये ब्रेन में एक छोटा सा Blood Clot है. इस बीमारी के लक्ष्ण भी काफ़ी आम हैं, इसलिये इस बीमारी को हम अकसर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. सिरदर्द, Weakness, Body Pain इस बीमारी के लक्षण हैं.

महिमा ने Paralysis को हराया, वो हम सब के लिए एक प्रेरणा हैं. आज महिमा एक खुशहाल ज़िन्दगी जी रही हैं.