हम अक्सर अपनी ज़िन्दगी से परेशान होकर कह देते हैं, ‘नर्क हो गई है ज़िन्दगी.’ फिर भी हम बहुत ख़ुशनसीब है, कम से कम उन लोगों से तो ज़्यादा ख़ुशनसीब हैं जो नर्क में ही अपनी ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं.

वेश्या की ज़िन्दगी से बद्तर किसी की भी ज़िन्दगी हो सकती है क्या? एक वेश्या को अंधेरे में ही पूरा जीवन बिताना पड़ता है. कुछ वेश्याओं को तो खुली हवा में सांस लेने की भी इजाज़त नहीं. बाहर की दुनिया देखने की चाहे कितनी भी इच्छा क्यों न हो, पर अंधेरे के अलावा उनकी किस्मत में और कुछ नहीं होता.

Facebook

वेश्यालय में औरत का सिर्फ़ जिस्म क़ैद नहीं होता, बल्कि उसकी पूरी ज़िन्दगी पर ही एक बंदिश लग जाती है.

बहुत वक़्त बीत गया है, पर मैं आज भी हरे-भरे खेतों में घूमना चाहती हूं. मैंने कभी हरे खेत नहीं देखे. पर सच्ची बहुत मन करता है देखना का. मैं बीमार हूं, बंद दरवाज़ों के पीछे सांस लेने में मुझे तकलीफ़ होती है. मैं हंसते-हंसते रोने लगती हूं, इस पर मेरा ज़ोर नहीं है. मेरी अम्मा को इससे दिकक्त हो रही है. अम्मा यानि कि हमारी मैडम. मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगी, मैं सिर्फ़ हंसूंगी और आंसू नहीं बहाऊंगी. मुझे कुछ भी याद नहीं, मैं बहुत छोटी थी. मेरी सबसे बड़ी दिक्कत है कि मैं यहां सांस नहीं ले पाती. मेरे पास घर की कोई यादें नहीं है और न ही आंखें बंद करने पर मुझे किसी का चेहरा दिखाई देता है. बहुत अकेला महसूस करती हूं. दूसरी लड़कियां भी यही कहती हैं कि उनका कोई अपना नहीं है. पर मैं ख़ुद से कहती हूं कि मेरा कोई तो अपना होगा, शायद मां या पिता या कोई रिश्तेदार. पर मुझे कोई भी याद नहीं आता. चाहे कितनी भी कोशिश कर लूं, पर कोई भी चेहरा ज़हन में नहीं है. जब भी मैं रोने लगती हूं, तो मेरी दोस्त प्रियंका मेरे आंसू पोंछती है ताकि मेरा मेकअप खराब न हो. वो हमेशा कहती है कि मेकअप की क़ीमत आंसुओं से ज़्यादा है. उसने मुझसे वादा किया है कि एक दिन वो मुझे हरे खेतों में ले जाएगी, जहां मैं खुली हवा में सांस ले सकूंगी. मुझे उम्मीद है कि उस दिन, आंखें बंद करने पर मुझे किसी अपने का चेहरा दिख जाए. सिर्फ़ एक बार में ज़िन्दगी में किसी के साथ होने के एहसास को महसूस करना चाहती हूं.

-अफ़साना

हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि अफ़साना की ज़िन्दगी की ये इच्छा कभी पूरी हो.

Source: Topyaps