ज़िंदगी में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जिसे किसी को बताने के लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत पड़ती है. मन में हज़ारों सवाल उठते हैं, सुनने वाला आपकी बातों को समझ पाएगा या नहीं? प्रतिक्रिया कैसी देगा? ग़लती किसकी मानी जाएगी? सब यक़ीन करेंगे कि नहीं? दिमाग़ के भीतर इतने अगर-मगर उठते हैं कि कई कहानियों को शब्द नहीं मिल पाते. 

Humans Of Bombay

Humans Of Bombay नाम के फ़ेसबुक पेज पर एक लड़की ने अपनी ज़िंदगी के एक ऐसे वाकये को बयां किया है, जिसे बोलना उसके लिए ज़रूरी था, जिसे पढ़ा जाना हमारे लिए ज़रूरी है. 

इस पोस्ट में अज्ञात लड़की ने आरोपी का नाम नहीं लिया, बस अपनी बात कही है. सही-ग़लत तक पहुंचे बिना आप भी इस कहानी को पढ़िए ज़रूर, आज लिखने की हिम्मत हुई है, कल खुल कर नाम भी लिए जाएंगे.