हम सभी के नाम के बाद हमारे पिता का ही उपनाम (Surname) लगा होता है. बचपन से हमने ऐसा ही देखा है. निजी जीवन में बहुत कम ही लोग होते हैं, जो अपनी मां का नाम अपने नाम के साथ जोड़ते हैं. मैंने बचपन से यही देखा और सुना है कि बच्चों के नाम के बाद उनके पिता का उपनाम लगता है, लड़के अपने पिता का नाम मिडिल नाम के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और शादी के बाद लड़कियां पति का उपनाम लगा लेती हैं.

कई बार ये सवाल भी दिमाग़ में आता था कि नाम बदलना कितना मुश्किल काम है. लड़कियां कैसे अपना सरनेम इतनी आसानी से बदल लेती हैं? मेरी मां ने भी बदला था, पर कैसे? न जाने कितने ही दस्तावेज़ों में नाम बदलवाना पड़ता होगा.

आख़िर नाम ही तो है, ये इतना बड़ा Issue क्यों है? कुछ लोगों के लिए ये बात मायने नहीं रखती, वो अपने नाम के बाद उपनाम भी नहीं लगाते, लेकिन कुछ लोगों के लिए नाम अहम का मुद्दा भी है.

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डायरेक्टर संजय लीला भंसाली, जब से मैंने उनका नाम सुना है ‘लीला’ के साथ ही सुना है. भंसाली, अपने नाम के बाद अपनी मां का नाम लगाते हैं, वो अपनी मां को अपनी ज़िन्दगी की सबसे अहम हिस्सा बताते हैं.

ज़िन्दगी के सबसे प्यार हिस्सों में से एक मां सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं, वो एक अलग एहसास है, जिसकी स्मृति ही हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट ले आती है. आवाज़ सुनकर हम अपनी परेशानियां भूल जाते हैं, उसकी गोद में सिर रखकर सबसे ज़्यादा चैन की नींद आती है.

पापा, ज़िन्दगी का दूसरा सबसे प्यारा हिस्सा. मां की गोद में अगर चैन की नींद आती है, तो उस नींद के लिए पापा के हाथों की थपकी ज़रूरी है. किसी भी बच्चे के लिए दोनों का समान प्यार ज़रूरी है.

मां-पापा दोनों की हमारी ज़िन्दगी में एक समान ज़रूरत और अहमियत है. तो अगर कोई अपनी मां का नाम, अपने नाम के बाद लगा ले ये दूसरों के लिए समस्या क्यों बन जाती है? कुछ ऐसा ही हुआ मुंबई की एक लड़की के साथ.

Facebook Page, Human Of Bombay में छपी एक पोस्ट के अनुसार, 17 साल की एक युवती के साथ स्कूल में बहुत ही ग़लत बर्ताव किया गया. इस युवती ने अपने नाम के बाद अपनी मां का नाम, ‘लता’ लगाया है और इस वजह से उसे हर जगह अलग नज़रों से देखा जाता था. स्कूल टीचर्स हर दस्तावेज़ में उसके पिता का नाम जोड़ देते थे. State Examinations में उसके फ़ॉर्म रिजेक्ट कर दिए जाते थे. उसके पिता को स्कूल जाकर रिकॉर्ड्स बदलने के लिए कहना पड़ता था.

युवती का कहना है कि हर कोई उसके परिवार से यही पूछता था कि उसका नाम वैसा क्यों है? युवती को भी अपने माता-पिता पर गुस्सा आता था कि उसका नाम बाकी बच्चों की तरह ‘Normal’ क्यों नहीं है? पर धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि उसका नाम ‘Normal’ है. 

युवती ने बताया,

मेरे नाम के साथ मम्मी-पापा ने एक Powerful Idea भी दिया. उन्होंने दुनिया को दिखाया कि औरतें, पुरुषों के बराबर ही होती हैं. उन्होंने दिखाया कि पितृसत्ता हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में किस तरह से घर कर चुकी है. उन्होंने जो सही है, उसका साथ दिया. मुझे गर्व है कि मेरे नाम के साथ मेरे माता-पिता का नाम जुड़ा है.

मां के नाम को तवज्जो देने के लिए भारत में कई क़ानून लागू किए गए हैं. दिल्ली में Permanent Driving License बनवाने के लिए अगर कोई चाहे तो पिता की जगह अपनी मां का नाम लिखवा सकता है.

2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर बच्चे का पालन Single Mother कर रही है तो Biological Father का नाम देना ज़रूरी नहीं, सिर्फ़ मां का नाम देकर ही पासपोर्ट बनवाया जा सकता है.

बदलते वक़्त के साथ कुछ बातें तो बदल रही हैं. अब शादी के बाद औरतें अपना उपनाम नहीं बदलती. फ़ेसबुक पर लोग अपने नाम के बाद अपनी मां का नाम लगाने लगे हैं.

उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ समुदायों में बच्चे के नाम के साथ मां का नाम लगाया जाता है, वहीं दक्षिण में बच्चे के नाम के बाद पिता का. कोई व्यक्ति अपने नाम के साथ किसका नाम लगाना चाहता है ये उसका निर्णय होना चाहिए.