निस्संदेह इस दुनिया में हमारे लिए मां से बढ़कर शायद ही कोई और चीज़ हो. मां हमारी ज़िंदगी में वो अहमियत रखती है, जिसे शब्दों बयां कर पाना मुश्किल है. लेकिन कभी-कभी हम ये भूल जाते हैं कि जो मां अपने बच्चों को ख़ुद से बेहतर बनाने की कोशिश करती है. कभी-कभी हम उसी मां को भगवान बनाने की, Perfect बनाने की कोशिश में लग जाते हैं.
हम ये भी भूल जाते हैं कि वो सिर्फ़ ‘मां’ ही नहीं है, बल्कि उसका भी अपना अस्तित्व है.
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Poet अनामिका जोशी की कविता, ‘मां तुम भी ग़लत हो सकती हो’ बातों-बातों में बहुत कुछ कह जाती है:
‘द साहित्य प्रोजेक्ट’ द्वारा अपलोड किये गए इस वीडियो में दिखाया गया है कि हम कभी- कभी जाने-अनजाने में अपनी मां पर किस तरह से दबाव डालते रहते हैं कि वो हर मामले में ‘परफ़ेक्ट’ हो.
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अनमिका ने अपनी इस कविता में एक ‘आदर्श मां’ के विचार को भी रखा है. जिसे हर वक़्त कुछ न कुछ बलिदान करने के लिए मजबूर किया जाता है. हम कभी-कभी हम मां को देवी का रूप देने लगते हैं, जिससे वो ख़ुद के वज़ूद को भूल जाती हैं. उसे भी ख़ुद के लिए जीने देना चाहिए.
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अनमिका ने अपनी इस कविता के ज़रिये एक मां के थोड़ा ख़ुद के लिए भी जीने का सन्देश दिया है.
पूरा वीडियो यहां देखें