बचपन में हमने एक कहानी सुनी थी. एक व्यक्ति रोज़ एक पेड़ के पास जाता और जी भर के गालियां देता, अपना गुस्सा निकालता. पेड़ के पास जाकर उसे खरी-खरी सुनाता और लौट आता. कुछ दिन बाद वो पेड़ सूख गया. सीख? किसी को अगर बार-बार नकारात्मक शब्द बोलो, तो वो मुरझाने लगता है.
इसी कहानी को IKEA (फ़र्नीचर बनानेवाली एक कंपनी) ने सच साबित किया है. IKEA ने अपने दफ़्तर के दो पौधे अलग कर एक स्कूल में रखे और बच्चों से कहा कि एक पौधे के पास नकारात्मक, बुरे शब्द कहें, उसे खरी-खोटी सुनाए. वहीं, दूसरे पौधे के पास जाकर सकारात्मक शब्द कहें.

बच्चों को अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करने के लिए भी प्रेरित किया गया और एक पौधे से बेहद प्यार से बात करने को कहा गया और दूसरे से नफ़रती लहज़े में.

30 दिन बाद इस Experiment के रिज़ल्ट चौंकाने वाले थे. जिस पौधे को प्यार भरे शब्द कहे गए थे, वो फलता-फूलता रहा, वहीं जिस पौधे को भला-बुरा कहा गया था, वो मुरझाने लगा था.

दोनों ही पौधों की एक जैसी ही देखभाल की गई थी. उन्हें एक समान खाद, पानी और सूरज की रौशनी दी गई थी. फ़र्क था तो सिर्फ़ शब्दों को, एक पौधे से प्यार से बातें की गई और दूसरे पौधे को नेगेटिव बातें कहीं गईं.

Bullying के खिलाफ़ बच्चों को जागरूक करने के लिए ये अनोखा Experiment किया गया था.
बात साफ़ है. एक पौधे पर बुरे शब्दों का इतना बुरा असर पड़ सकता है, तो सोचिये किसी इंसान पर नकारात्मकता या बेवजह की आलोचनाओं का क्या असर पड़ता होगा? विश्व में कई बच्चे और बड़े भी Bullying का शिकार होते हैं. ऐसे बच्चों को कमज़ोर समझकर अन्य बच्चे दादागिरी करते हैं, उन पर धौंस दिखाते हैं, उन्हें बुरा-भला कहते हैं और कई बार उनकी पिटाई भी कर देते हैं. जिन बच्चों को Bully किया जाता है उन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. कई बच्चे Bullying से इतनी बुरी तरह प्रभावित होते हैं कि वे ख़ुदकुशी तक का रास्ता चुन लेते हैं. बहुत ज़रूरी है कि माता-पिता भी अपने बच्चों को इस विषय पर जागरूक करें.
