भारत के पास कई उपलब्धियां हैं. जैसे ये दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जैसे कि यहां सभी धर्मों के लोग प्यार और सद्भावना से रहते हैं, जैसे कि यहां स्त्रियों को देवी की तरह पूजा जाता है. 

भारत की एक और उपलब्धी है, यहां पलक झपकते ही रेप हो जाते हैं. यहां दिन के उजाले में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. और इस देश की सबसे बड़ी उपलब्धि है यहां के नेताओं के रेप जैसे संवेदनशील मुद्दे पर मौन रहना.

उन्नाव और कठुआ सहित देश भर में रोज़ रेप की घटनाएं होती हैं, लेकिन इन्हें लेकर बने नियम इतने ढीले हैं कि कई दफ़ा आरोपी आसानी से छूट जाते हैं. निर्भया केस के बाद इन दो के मामलों को लेकर इस दर्ज़े का जन सैलाब उमड़ा है. दोनों मामलों में नेताओं का रेप को लेकर समर्थन एक लोकतंत्र के लिए चौंकाने वाला था. 

इस चेहरे से आप अंजान नहीं होंगे:

Star Sun Folded

ये हैं Delhi Commission For Women (DCW) की चीफ़, स्वाति मालिवाल. 13 अप्रैल से अनशन पर बैठी हैं. न्याय की मांग कर रही है. इस उम्मीद में 9 दिन से भूखी बैठी हैं कि देश में Minor (नाबालिग) का बलात्कार करने वालों के लिए सज़ा-ए-मौत का सख़्त क़ानून बनाया जाए.

कई लोगों को इसमें राजनीति की बू आएगी, ये उनका अपना मत है. लाज़मी भी है, DCW हमेशा से आरोपों के साये में ही रहा है.

स्वाति इस कमीशन की सबसे कम उम्र की चीफ़ हैं. जनवरी में 8 महीने की बच्ची के साथ रेप की घटना के बाद से स्वाति ने #RapeRoko आंदोलन शुरू किया, अकेले ही. संसद तक मार्च किया, लाठियां भी खाईं.

India Times

ये औरत अकेली अनशन पर क्यों बैठी है, ये जानने से पहले ज़रा इनके बारे में जान लीजिये:

1. HCL की नौकरी छोड़, Activist बनना सबके बस की बात नहीं होती. शादी भी एक Activist से ही की. बहुत अमीर खानदान से नहीं आती स्वाति, आम परिवार से ही हैं.

2. इससे पहले लोकपाल बिल के आंदोलन का भी हिस्सा रह चुकी हैं स्वाति.

3. दिल्ली के GB Road से कई बच्चियों को जिस्मफ़रोशी के धंधे से छुड़ाने से लेकर दिल्ली के अवैध शराब के अड्डों का भंडाफोड़ करने तक, सब कर चुकी हैं स्वाति.

‘क्यों भूखी बैठी है ये महिला. किसके लिए?’

उन्नाव, कठुआ या किसी और ‘Specific’ स्थान की घटना के लिए नहीं. हर रेप पीड़ित के लिए. हर उस बच्ची के लिए जो कपड़ों का सहूर जानना तो दूर की बात बोलना भी नहीं जानती थी, लेकिन उसका बर्बरता से रेप कर दिया गया. हर उस शख़्स के विरुद्ध कर रही हैं, जो ये सोचता है कि रेप में ‘ताली दोनों हाथों से बजती है’ या फिर ‘कपड़ों के कारण’, ‘मोबाईल रखने से’ और ‘चाऊमीन खाने से’ रेप होता है. 

The Wire

आज ही इंदौर में 1 वर्ष से कम उम्र की बच्ची (कहीं बच्ची की उम्र 4 महीने, 6 महीने, कहीं 8 महीने बताई जा रही है) के साथ रेप और हत्या का मामला सामने आया है. HT की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश विधान सभा में 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने की सज़ा फांसी हो, ये बिल पारित किया गया. ये अभी क़ानून है या नहीं, ये पता नहीं.

राजस्थान, हरियाणा में भी ऐसे ही बिल पारित किए गए.

हमारा सवाल है कि क्या देशभर में बलात्कारियों के लिए कोई सख़्त सज़ा नहीं हो सकती?

एक अच्छी पहल ये की गई है कि संसद ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के Rapists को मौत की सज़ा देने का Ordinance पास कर दिया है. 

सिर्फ़ एक बार उन पीड़ितों के दर्द के बारे में सोचकर देखिये? बिना किसी क़ूसूर के उम्रभर का दर्द उन्हें दे दिया जाता. फिर न्यायालय में सालों तक उनके केस चलते रहते हैं. और कितनी मासूम ज़िन्दगियों की बलि चढ़ाई जायेगी, किसी सख़्त कार्रवाई से पहले?

Feature Image Source- The Wire