फ़र्ज़ करिए, आपके कॉलेज, दफ़्तर, कमन्युनिटी इवेंट में किसी दुर्घटना पर शोक जताते हुए 2 मिनट का मौन रखा गया हो. अचानक आपकी हंसी निकल जाए वो भी बिल्कुल रावण वाली…


अब वो घटना याद करिए, जब क्लासरूम में टीचर हंसने से मना करते थे और उतनी ही हंसी आती थी. टीचर को ये अपमानजनक लगता था, पर ये सिर्फ़ आप ही जानते हैं कि आप हंसी कन्ट्रोल करने की पूरी कोशिश करते थे पर हंसी रुकती ही नहीं थी. 

अंग्रेज़ी में कहते हैं, ‘सबसे सही दवा है, हंसी’, बशर्ते ये हंसी ग़लत वक़्त पर न निकल जाए!  

Gospel Heard

आख़िर ग़लत वक़्त पर हंसी क्यों निकलती है? 


Reader’s Digest से बातचीत करते हुए प्रोफ़ेशनल काउंसलर, Kelley Hopkins ने बताया, ‘सीरियस पलों में हंसने का कारण इंसान और उसके साइकॉलोजिकल स्टेटस पर निर्भर करता है. जिन इंसानों को Neurodevelopmental Delay जैसे ADHD, OCD, ASD आदि होता है उन्हें दुख या डर की घड़ी में उपयुक्त व्यवहार करने में दिक्कत होती है.’ 

Hopkins का ये भी कहना था कि ऐसा लोगों कि संख्या समाज में बहुत कम है जिन्हें दूसरों के दुख को देखकर मज़ा आता है. 

Vice

हमारा शरीर करता है ऐसे रेस्पॉन्स 


हमारा शरीर कई बार कुछ यूं रेस्पॉन्स करता है जो हमारे नियंत्रण के बिल्कुल बाहर होता है. Vice से बातचीत में Melbourne Psychological Oncology Program के डायरेक्टर Steve Ellen ने बताया, ‘अनुचित हंसी या Inappropriate Laughter बहुत दिलचस्प है. हम सभी ये करते हैं. ये बहुत मुश्किल वक़्त है, किसी सीरियस, बेहद सीरियस टॉपिक में बात-चीत हो रही हो और आपका शरीर हंसकर रेस्पॉन्स दे!’ 

Ellen का मानना है कि नर्वस लाफ़्टर या अनुचित वक़्त पर हंसी शरीर का Anxiety और Tension के प्रति रेस्पॉन्स है. 

हमारा शरीर, हमारे न चाहते हुए भी Tension कम करने के लिए हमें हंसने पर मजबूर करता है. भले हम सीरियस रहना चाहें. 

– Steve Ellen

Steve Ellen के इस बात से सहमति जताई है University of Sussex की PhD Researcher Jordan Raine ने. Jordan का भी मानना है कि टेंशन, ट्रॉमा या डिस्ट्रेस को हमारा दिमाग़ इस तरह हैंडल करता है. 

Medium

ब्रैन डिसॉर्डर से ग्रसित इंसानों की भी होती है बेकाबू हंसी 


Raine ने अनुचित हंसी का एक और कारण बताया. Vice के लेख के मुताबिक़, Raine ने बताया कि ऐसी हंसी की वजह ‘Pseudobulbar Affect’ भी हो सकता है. Multiple Sclerosis और Dementia जैसे ब्रैन डिसॉडर्स से ग्रसित लोगों को कभी भी बेकाबू़ हंसी आ सकती है. 2005 की एक स्टडी के मुताबिक़ Brain Lesion के एक मरीज़ को Liquids निगलने पर Pathological हंसी आती थी. 

इसका मतलब ये नहीं कि बेवक़्त हंसने वालों को दिमाग़ी डिसॉर्डर है. 

ग़म को छिपाने के लिए हंसी का इस्तेमाल 


Reader’s Digest से बातचीत में Hopkins ने कहा कि कुछ लोग तब हंसते हैं जब वो बहुत दुखी होते हैं. अपने दुख, अपने इमोशन्स को छिपाने के लिए वो ऐसा करते हैं. 

तो अगली बार अगर कोई बेवक़्त हंसता दिखे तो उसे पागल मत समझना.