आधा दिसंबर बीत चुका है. अगर आप जिम जाते हैं तो आपने ज़रूर जिम में भीड़ को ज़रूर नोटिस किया होगा और अगर नहीं जाते हैं तो आप भी न्यू इयर रिज़ोल्यूशन के तौर पर जिम जाने का प्लान ज़रूर कर रहे होंगे. कहने का मतलब ये है कि दिसंबर जनवरी आते ही जिम में लोगों की संख्या में भारी इज़ाफ़ा देखने को मिलता है और आंकड़े भी इसके गवाह हैं.

हर साल लाखों लोग फ़िटनेस को अपना न्यू इयर रिज़ोल्यूशन बनाते हैं लेकिन उनमें से कुछ गिने चुने लोग ही सफ़ल हो पाते हैं, लेकिन ऐसा क्यों होता है? जिम जाने का सारा उत्साह आखिर कुछ महीनों में ही ठंडा क्यो पड़ जाता है.? आइए इसकी पड़ताल करते हैं.

1. लाइफ़ बड़ी हेक्टिक है यार!

जिम जाने वाले हर इंसान के दिमाग में ये बात एक न एक बार तो ज़रूर आई होगी. नौकरी और परिवार की ज़िम्मेदारियां सभी के पास होती है लेकिन कुछ लोग इसी समय में शानदार बॉडी के मालिक हो जाते हैं तो कुछ केवल ऐसे फिट शरीर के केवल सपने देखते रह जाते हैं. अगर आप माइंडसेट ऐसा है कि जिम जाने के लिए टाइम निकालना मुश्किल है तो यकीन मानिए आपके लिए कुछ दिन जिम करना भी नामुमकिन हो सकता है. ऐसे में आपको सबसे पहले अपने फ़िटनेस गोल्स तय करने होंगे, आप क्या चाहते हैं और कितने दिनों में चाहते हैं, उसे लेकर पूरा ब्लूप्रिंट तैयार करना होगा. उसके बाद मानसिक तौर पर मज़बूत रहकर अपनी खान पान की आदतों को सुधारना और हेक्टिट शेड्यूल से टाइम निकालना सीखना होगा.

मसलन अगर आप एक घंटे का लंच करते हैं तो उससे 20 मिनट घटा सकते हैं और बाकी समय जॉगिंग या रनिंग के लिए निकाल सकते हैं. दोस्तों के साथ देर रात तक घूमते हैं तो उसे भी कम कर रात को जल्दी सोया जा सकता है ताकि सुबह जिम जाने के लिए समय निकाला जा सके. अंत में, ये आपके ऊपर ही है. अगर आप फ़िटनेस को लेकर गंभीर है तो लाइफ़स्टाय़ल में थोड़े से बदलाव काफी फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं.

2. न कोई जवाबदेही, न फ़ेल होने पर निराशा का डर

स्टेनफ़ॉर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी ने साबित किया था कि जिम जाने वाले लोगों के लिए सोशल सपोर्ट के भी बेहद मायने होते हैं. इस स्टडी में हिस्सा लेने वाले 218 लोगों को तीन ग्रुप में बांटा गया. पहले वो लोग जिन्हें स्टैनफ़ोर्ड के इंस्ट्रक्टर का कॉल हर 3 हफ्तों में एक बार आएगा. दूसरे वो लोग, जिन्हें ऐसा ही कॉल एक कंप्यूटर से प्राप्त होगा और तीसरे वो लोग जिन्हें किसी तरह का कोई कॉल नहीं आएगा.

एक साल बाद निष्कर्ष सामने आया कि पहले ग्रुप वाले लोग हर हफ़्ते 178 मिनट्स एक्सरसाइज़ में बिता रहे थे. वहीं दूसरे ग्रुप के लोग 157 मिनट और तीसरे ग्रुप हर सप्ताह केवल 118 मिनट जिम में बिता रहे थे.

इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई जवाबदेही नहीं है और आप अपने जिम रूटीन को लेकर किसी भी शख़्स को अपडेट नहीं करते तो हो सकता है कि आपकी मोटिवेशन खत्म हो जाए और आप जिम जाना बंद कर दे. यही कारण है कि जिम जाना या बॉडी बनाने के लिए शारीरिक औऱ मानसिक दोनों तरीके से मज़बूत होना पड़ता है.

अगर आपके जिम रुटीन तो ज़ाहिर है किसी बुरे या व्यस्त दिन पर लोग जिम जाने की जगह घर बैठना पसंद करेंगे, ऐसे में आप अपने किसी दोस्त के साथ जिम जॉइन कर सकते हैं ताकि आप दोनों एक दूसरे की न केवल फ़िटनेस ट्रैक कर सके बल्कि एक के परेशान या डाउन होने पर दूसरा शख़्स मोटिवेट कर सके. या किसी पर्सनल ट्रेनर को हायर कर सकते हैं ताकि आप जब भी जिम जाने में आलस दिखाएं तो वो आपको लगातार मोटिवेट कर आपकी मदद कर सकें.

3. अपने आप से कुछ ज़्यादा ही उम्मीदें पाल लेना

कुछ दिनों में जनवरी आ जाएगा, न्यू इयर के रिज़ोल्य फ़िट होने की मंशा के चलते कुकुरमुत्तों की तरफ़ भीड़ गली मुहल्लों के जिम से लेकर ब्रांडेड जिम में बढ़ जाएगी, इनमें से कुछ ऐसे जोशीले नौजवान भी होंगे जो पहली बार जिम जा रहे होंगे, ऐसे में गलतियां होने की गुंजाइश बढ़ जाती हैं और इन गलतियों के चलते लोग जिम करने की मोटिवेशन खो देते हैं.

अपने लिए छोटे लक्ष्य रखें. उत्साहित होकर खूब वज़न लगाकर मशीनों का इस्तेमाल न करने लगे. इससे कुछ ही दिनों में आप मोटिवेशन लूज़ कर सकते हैं. बॉडीबिल्डिंग के लिए न केवल आपको अनुशासन की ज़रूरत होगी बल्कि धैर्य भी बेहद ज़रूरी होता है.

आपका लक्ष्य होना चाहिए कि जिम आपके लिए एक ऐसी जगह बन जाए जहां जाए बिना आप असहज महसूस करने लगे. हर हफ़्ते पांच दिन आने की जरूरत नहीं है. अगर जिम शुरू ही किया है तो पहले पहल मशीनों के साथ सहज होने की कोशिश करें. वजन से ज़्यादा अपने पोस्चर पर ध्यान दें. आप जो एक्सरसाइज़ कर रहे हैं उसे

ये बात ध्यान रखने लायक है कि शॉर्ट टर्म फ़िटनेस गोल्स भी तब तक पूरे नहीं होते जब तक आप अपने खानपान और एक्सरसाइज़ को लेकर सजग नहीं होते. कोशिश करें, कि अपने लिए सेट टारगेट चुनें. आपको इस मामले में अपने आप से पूरी तरह ईमानदार रहना होगा. आप केवल फ़िट रहना चाहते हैं, मसल्स के साथ आकर्षक दिखना चाहते हैं या फिर सिक्स पैक्स लेकर मॉडल जैसा बनना चाहते है. बॉ़डी बनाने आकर्षक डिमांड होगी

4. यार मज़ा नहीं आ रहा

कुछ लोग किसी जिम मशीन से इतना घबरा जाते हैं कि उसे छूना भी पसंद नहीं करते और इसमें कोई दो राय नहीं कि जिम में कुछ एक्सरसाइज़ वाकई बहुत बोरिंग हो सकती है लेकिन जैसा कि कहा गया है कि आप अपनी किस्मत के खुद मालिक हैं यानि बोर होकर उस एक्सरसाइज़ को बिल्कुल ही खत्म कर देना है या फिर उस एक्सरसाइज जैसी ही कोई दूसरी एक्सरसाइज़ की जा सकती है, ये केवल आप पर ही निर्भर करता है.

मसलन अगर आपको ट्रेडमिल पर भागना बिल्कुल पसंद नहीं है तो आप बाहर रनिंग कर सकते हैं या फिर हाई कार्डियो बॉस्केटबॉल खेल सकते हैं, ऐसे ही अगर कोई एक्सरसाइज आपको रास नहीं आ रही है तो इंटरनेट से खंगाल कर आप इस एक्सरसाइज़ के विकल्पों पर गौर फ़रमा सकते हैं. रनिंग, स्वीमिंग, बाइकिंग, एरोबिक्स, डॉन्सिंग और योगा जैसे कई गतिविधियां भी आपको फ़िट रखने में मदद करती है.

यूं तो फ़िट रहने का कोई सीधा-साधा मंत्रा नहीं है लेकिन ये भी सच है कि फ़िट होना अगर इतना आसान ही होता तो दुनिया के ज़्यादातर लोग फ़िट और हॉट होते. अगर आप अपने रूटीन में हेल्दी खाना, भरपूर मात्रा में पानी और अपने फ़िटनेस गोल्स से कमिटेड हैं तो चीज़ें बेहतर हो सकती है.