नवरात्रि में व्रत के दौरान फल, कुट्टू का आटा, साबूदाना, समा के चावल, कुछ सब्ज़ियां आदि खाए जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ इन नौ दिनों में अधिकतर घरों में प्याज़ और लहसुन खाना भी बंद कर दिया जाता है. ये बात आपने भी ज़रूर नोटिस की होगी. लेकिन ऐसा क्यों होता, जबकि ये दोनों भी हैं तो सब्ज़ी ही? आपके इसी सवाल का जवाब आज हम आपको देंगे.
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको आयुर्वेद की शरण में जाना होगा. आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को तीन भागों में बांटा गया है, पहला तामसिक, दूसरा राजसिक और तीसरा सात्विक. ये उनके प्रकार और खाने के बाद इनसे शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया पर आधारित है.
क्यों खाते हैं सात्विक आहार?
नवरात्रि के दौरान लोग सात्विक खाना खाते हैं. इसके पीछे धार्मिक मान्यता होने के साथ ही और वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसल, नवरात्रि का त्यौहार अक्टूबर और नवंबर महीने में आता है. इस दौरान मौसम में बदलाव होता है. मौसम में बदलाव के कारण हमारी इम्यूनिटी भी कम होने लगती है. इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें सात्विक फ़ूड की आवश्यकता होती है. ये हमारी पाचन क्रिया को आराम पहुंचाकर शरीर को साफ़ यानी डीटॉक्स करने में मदद करते हैं.
सात्विक भोजन
सात्विक शब्द ‘सत्व’ शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है, शुद्ध, प्राकृतिक और ऊर्जावान. ये शरीर को शुद्ध कर मन को शांति प्रदान करता है. इसमें ताज़े फल, मौसमी सब्ज़ियां, दही, सेंधा नमक, धनिया और काली मिर्च जैसे मसाले शामिल हैं.
राजसिक और तामसिक भोजन
रजस और तमस उन भोज्य पदार्थों के लिए उपयोग होता है जो अपवित्र और विनाशकारी(शास्त्रों के अनुसार) प्रवृत्ति के होते हैं. नवरात्रि के 9 दिनों में शुद्ध और सरल जीवन शैली अपनाने की मान्यता है. इस तरह के फ़ूड आपका ध्यान भटकाने का काम करते हैं इसलिए इन्हें नहीं खाया जाता है. इसमें प्याज़-लहसुन, मशरूम, अंडा मांस-मछली आदि आते हैं. कुल मिलाकर जिस खाने को पचाने में मुश्किल हो उस खाने को राजसिक और तामसिक भोजन में शामिल किया गया है.
क्यों नहीं खाते प्याज़ और लहसुन?
प्याज़ और लहसुन तामसिक प्रवृत्ति के होते हैं. ये खाने के बाद शरीर में उत्तेजना या उन्माद बढ़ता है. प्याज़ शरीर में गर्मी पैदा करता है. इसलिए इसे नवरात्रि में नहीं खाया जाता. लहसुन-प्याज़ दोनों को रजोगनी भी कहा जाता है. ये खाना दिमाग़ को सुस्त बनाता है. नवारात्रि के दौरान उपवास और पूजा जैसे कई अनुष्ठान होते हैं. इसलिए दिमाग़ का सुस्त होना सही नहीं माना जाता.
कुल मिलाकर हमारे शरीर को शुद्ध और स्वस्थ बनाने के लिए ही नवरात्रि में इन दोनों को खाने की मनाही होती है.
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