आजकल पढ़ाई में लापरवाही बच्चों से ज़्यादा उनके माता-पिता बरतते हैं. कहीं बाहर जाना हो या किसी शादी में, बिना सोचे बच्चों की स्कूल से छुट्टी करा देते हैं. उन्हें लगता है कि एक या दो दिन स्कूल छोड़ देने से क्या फ़र्क पड़ने वाला है, पर उन्हें पता नहीं चलता कि कब एक दो दिन की ये छुट्टियां उन्हें ग़ैर-ज़िम्मेदार बना देती हैं. ऐसे लोगों को ही पढ़ाई का मूल्य बताने के लिए एक लड़की ने कुछ ऐसा किया, जो सबके लिए मिसाल है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रहने वाली पायल शर्मा अपनी शादी के अगले ही दिन ससुराल से मायके लौट आईं, क्योंकि उन्हें बच्चों को परीक्षा की तैयारी करवानी थी.

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अच्छी बात ये है कि पायल के इस फ़ैसले में उसके ससुराल वाले साथ खड़े हैं. ससुराल वालों की इस सोच की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है. पायल को शुरू से ही बच्चों को पढ़ाने में रुचि थी. पायल के पिता विनोद के अनुसार, 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद से ही पायल ने गांव के बच्चों और महिलाओं को पढ़ाना शुरु कर दिया था. फिर उन्हें पता चला कि गांव के स्कूल में गणित और कॅामर्स के शिक्षक नहीं हैं, तो वहां की प्रिंसिपल ज्योत्सना चंद्रवंशी ने बात की, तो उन्हें वहां पढ़ाने की इजाज़त दे दी गई. 2010 से पायल इस स्कूल में बिना पैसों के पढ़ा रही हैं. हाल ही में स्कूल प्रशासन ने पायल को स्कूल में पढ़ाने से मना कर दिया था. तब बच्चों के रिक्वेस्ट पर पायल को वापस बुलाया गया.

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जब पायल की शादी की तैयारियां चल रही थीं, तो उनका ध्यान शादी से ज़्यादा बच्चों की पढ़ाई में था. शादी के दौरान एक रस्म होती है हल्दी की. इसमें माना जाता है कि लड़की को जब हल्दी लग जाती है, तो फिर उसे कहीं बाहर नहीं जाना होता. पर पायल हल्दी लगने के बाद भी स्कूल जाती रहीं. पांच फरवरी को शादी होने के अगले दिन पायल को ससुराल में कुछ रस्में निभानी थीं, पर पायल का ध्यान तो बच्चों की पढ़ाई पर लगा था. उन्होंने हिम्मत कर अपने ससुर को बताया कि 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं होने वाली हैं और ऐसे में वो अपने स्कूल के बच्चों की तैयारी बीच में छोड़ नहीं सकतीं. पायल के ससुर हरीशचन्द्र को पायल की ये बातें बहुत अच्छी लगीं और उन्होंने तुरंत पायल को मायके जाने की इजाज़त दे दी.

हरिशचन्द्र को अपनी बहू पर गर्व है और उनका मानना है कि समाज में शिक्षा की ज्योति जलाने के लिए उनकी बहू जैसी और भी औरतों की ज़रुरत है. वाकई हम सब को पायल पर गर्व है. 

Feature Image: Indiatoday

Source: NDTV