अगर हमें गाजर-मूली में रेंगती हुई इल्लियां दिख जाएं तो हम उन्हें फ़ेंक देते हैं. इल्लियों वाली सब्ज़ी कौन खायेगा यार! लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के 2 व्यवसाइयों ने ऐसा यंत्र बनाया है जिससे आप घर में ही खाने वाले कीड़ों की नस्ल को पैदा कर सकते हैं. इन्हें कहते हैं मीलवर्म.

25 और 28 साल की कैथरीना अंगर और जूलिया कैसिंगर बताती हैं कि इन कीड़ों को आप किसी दूसरे तरह के खाने की तरह ही खा सकते हैं. इन्हें फ्रिज में रखिये. जब मन हो तो रोस्ट कीजिये, इनसे बर्गर की पैटी बना लीजिये या पास्ता सॉस में इन्हें डाल दीजिये.

इनके द्वारा बनाये गए यंत्र में इन कीड़ों की पूरी प्रजनन प्रक्रिया होती है, जिसमें प्यूपा से लार्वा तक ये कीड़े बढ़ते हैं और अंत में मिलता है मीलवर्म.

UN के खाद्य और कृषि संस्थान के अनुसार कीड़े 2 बिलियन लोगों के संतुलित आहार का माध्यम हैं और करीब 1900 नस्लों को दुनिया में खाया जाता है.

यूरोप, रोम और प्राचीन ग्रीक सभ्यताओं में कीड़े खाए जाते थे और आज-कल यूरोप और नार्थ अमेरिका में कुछ ‘इन्सेक्ट रेस्टोरेंट्स’ शुरू हो गए हैं जो नमकीन टिड्डे से लेकर बिच्छू की लॉलीपॉप भी खाने में देते हैं.

पश्चिमी सभ्यता के लोग कीड़ों को घृणा की नज़र से देखते हैं, लेकिन वो शायद ये नहीं जानते कि कीड़ों में बहुत पोषण होता है. कीड़े खाने के नाम से ही हमें घिन्न आ जाती है, पर इन मीलवर्म्स में बीफ़ जितना प्रोटीन होता है, अंडे से ज़्यादा विटामिन B12 होता है और ब्रॉकली से ज़्यादा फाइबर होता है.

कैसिंगर कहती हैं कि ‘कीड़ों को खाद्य पदार्थ के रूप में देखने के लिए पहला कदम ये है कि आप घृणित न हों और ये मानसिक रूप से ही हो सकता है. एक बार खाने के बाद आपको लगेगा कि ये इतना भी बुरा नहीं है’. उनका मानना है कि भविष्य में हर कोई कीड़े ही खायेगा! उन्हें पहले ही 200 सैंपल्स का प्री-आर्डर आ चुका है.

तो जी अगली बार किसी को मत बोलना कि तेरे मुंह में कीड़े पड़ें, आप गाली नहीं, उनकी सेहत ही सुधार रहे हो!