एक यज़ीदी जिसे ISIS के खुंखार आतंकवादियों ने Sex Slave बना लिया था, कैसी होगी उसकी ज़िन्दगी, ज़रा सोचिए.

कहते हैं न, जीने की चाह हो तो कुछ भी मुमकिन है. Mail Online की ख़बर के अनुसार, नादिया मुराद को 2014 में 21 साल की उम्र में अगवा कर लिया था. वो 7000 महिलाओं और लड़कियों में से एक थीं, जिन्हें ISIS आतंकवादियों ने अगवा कर उनका बार-बार बलात्कार किया. 

नादिया अपनी यातनाओं वाली ज़िन्दगी से भागकर एक नई ज़िन्दगी शुरू कर चुकी हैं. अब वो पूर्व UN Army Interpreter, अबिद शमदीन से शादी करने वाली हैं. शमदीन ने नादिया को एक नई ज़िन्दगी शुरू करने में मदद की. ये दोनों मुश्किल वक़्त में एक-दूसरे के साथ आए और ताउम्र एक-दूसरे का साथ देने का निर्णय ले चुके हैं.

पिछले साल नादिया ने एक किताब के ज़रिए दुनिया को अपनी आपबीती सुनाई.

नादिया, यज़िदी हैं, एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय जिन्हें ISIS वाले शैतान के पुजारी समझते हैं. नादिया की मां और 8 भाईयों में से 5 की ISIS ने हत्या कर दी.

नादिया को एक ग़ुलाम बना लिया गया और उसकी एक फ़ोटो Id भी बनाई गई, ताकी वो बचकर भाग न पाए.

नादिया ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उसे एक उच्च स्तर के ISIS न्यायाधीश, Hajji Salman ने कहा था,

तुम मेरी चौथी सबिय्या(Sex Slave) हो. बाकी तीनों अब मुसलमान हैं. मैंने ये उनके भले के लिए किया. यज़िदी काफ़िर हैं और इसीलिए हम ये कर रहे हैं. तुम्हारी सहायता करने के लिए कर रहे हैं.

अपनी किताब में वो लिखती हैं,

एक वक़्त ऐसा आता है जब आपकी ज़िन्दगी में बलात्कार के अलावा कुछ नहीं रह जाता. आपको पता नहीं कब दरवाज़ा खोलकर कौन आप पर टूट पड़ेगा, या फिर आप कल का दिन देखेंगे या नहीं.

नादिया ने बताया कि किस तरह एक बार उसने Abaya पहनकर भागने की कोशिश की थी. दरवाज़ें पर खड़े सिपाही ने उसे पकड़ लिया. Hajji Salman ने उस पर कोड़े बरसाए और 6 लोगों का गुट बनाकर उसका तब तक सामूहिक बलात्कार करवाया, जब तक वो बेहोश न हो गई.

इस घटना के बाद उसे 6 लोगों को बेचा गया, जो उसका बलात्कार करते और मारते-पीटते. इसके बाद उसे सीरिया भेजा गया.

मोसुल में नादिया ने अपने क़ैद करनेवाले के बगीचे की दीवार फांदकर भागने का प्रयास किया और सफ़ल रही. Abaya पहनकर सड़कों पर काफ़ी देर भटकने के बाद उसने एक घर का दरवाज़ा खटखटाया. नादिया की क़िस्मत अच्छी थी कि उन अजनबियों ने उसे एक रेफ़्यूजी कैंप तक पहुंचाया.

नादिया कहती हैं,

इराक़ और सीरिया के लोग आम ज़िन्दगी जीते हैं, जबकि सभी को हम पर होने वाली यातनाओं के बारे में पता है. ग़ुलाम बाज़ारों में वो लड़कियों और महिलाओं की चीख़ें सुनते हैं और अपने काम में लगे रहते हैं.

नादिया अब जर्मनी में रहती हैं और यज़िदी समुदाय के हक़ के लिए लड़ती हैं. 2017 में उसे Dignity of Survivors of Human Trafficking के लिए UN की Goodwill Ambassador चुना गया.

नादिया की हिम्मत की जितनी तारीफ़ की जाए कम है. हम उन्हें एक अच्छी ज़िन्दगी की शुभकामनाएं देते हैं.