हाय! ये आवाज़ सुकून लाती है. हालांकि ये सिर्फ़ रेलवे स्टेशन या किसी बस स्टॉप पर ही सुनाई देती है, पर चाय तो हर जगह मिलती है न दोस्त. भारतीयों की रग-रग में देश प्रेम के साथ कुछ घुलता है, तो वो चाय. किसी दोस्त के साथ चाय पर घंटों गप्पे लड़ाना, तो कभी इसी के सहारे रात भर इम्तिहान की तैयारी करना. आज चाय पर चर्चा और खर्चा शायद ही किसी को भारी लगता हो.
चाय, गर्मा गर्म चाय!
इस चाय का मज़ा दोगुना हो जाता जब होठों से इसे कुल्हड़ के सहारे लगाया जाए. वो सौंधापन, वो खुशबू दिन बना देती है. वैसे अगर आप भी कुल्हड़ की चाय के शौकीन हैं, और आज तक आपने वो कुल्हड़ नहीं चबाई, तो अफ़सोस आपने आज तक चाय का असली मज़ा नहीं लिया.
चाय के साथ कुल्हड़ खाना हमने उत्तर प्रदेश से सीखा है. हालांकि ये कोई व्यंजन नहीं है, जिसे हम पूरी तरह यूपी से जोड़ दें, लेकिन ये स्वाद इतना फीका भी नहीं है कि हम इसे नज़र अंदाज़ कर दें.
कुल्हड़ में होंठ लगाते ही वो मिट्टी का स्वाद ज़ुबान के साथ दिल में उतर जाता है. ऐसे में चाय के साथ कुल्हड़ चबाना ग़ज़ब ही स्वाद देता है. वैसे अगर आप ब्लैक टी, ग्रीन टी, काहवा चाय या किसी और चाय की तुलना इससे कर रहे हैं, तो रुकिए जनाब! इस स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है.
अगर आप भी चाय प्रेमी हैं, तो शेयर और कमेंट तो बनता है न दोस्त!