क्रिकेट का शौक़ीन शायद ही वो पल भूल सकता है, जब भारतीय टीम के ‘युवराज’ ने 6 गेंदों में 6 छक्के मार कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाका किया था. हर छक्के की आवाज़ आज भी हमारे ज़हन में तरोताज़ा है. हालांकि अब युवराज उतना Regularly टीम में नहीं खेलते हैं, लेकिन उनके बल्ले की आवाज़ आज भी उनके हर फ़ैन के कानों में गूंजती रहती है.

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हाल ही में युवराज सिंह ने अपने पूरे करियर के बारे में मीडिया से बात की, जहां उन्होंने क्रिकेट की शुरुआत से लेकर कैंसर के साथ अपनी ज़िंदगी की लड़ाई के बारे में बताया.

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इन पलों के बीच उन्होंने गांगुली, सचिन और कुंबले के साथ शेयर किए ड्रेसिंग रूम की यादों का भी ज़िक्र किया. उन पलों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं पढ़ाई में कभी अच्छा नहीं था, खेल में भी आज तक मुझे सिर्फ़ स्केटिंग ही अच्छी लगी. मेरे पिता ने मुझसे कहा कि अगर क्रिकेट में रुची है तो वही खेलो, लेकिन इस खेल को फ़िर पूरी शिद्दत से खेलना’.

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पिता की तरफ़ मिले इन सुनहरे शब्दों को उन्होंने गांठ की तरह बांध लिया और इस तरह युवराज की दोस्ती क्रिकेट से हुई.

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क्रिकेट करियर इतना आसान नहीं था. अंडर-14 हरियाणा की टीम में जगह न मिलने से युवराज दुखी हुए, लेकिन उन्हें पता था कि उनके अंदर की कमी अभी भी गई नहीं है, मेहनत उन्हें अभी और करनी है.

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भारत की नीली जर्सी पहनने के जुनून ने उन्हें भारत की अंडर-19 टीम तक पहुंचाया. मोहम्मद कैफ़ की कप्तानी वाली इस टीम ने न सिर्फ़ वर्ल्ड कप जीता, बल्कि युवराज जैसा बल्लेबाज़ भी भारत को दिया.

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युवराज बताते हैं कि ‘मेरे लिए ये एक सपने जैसा था, जिन खिलाड़ियों को टीवी पर देख कर बड़ा हुआ आज उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर कर रहा था. सचिन, गांगुली और कुंबले से क्रिकेट की बारीकी सीखना सबसे सुनहरा पल था’.

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अपने मज़ाकिया मिज़ाज के लिए फ़ेमस युवराज ने हरभजन सिंह के साथ मिल कर गांगुली के साथ एक मज़ाक किया. उन दिनों मीडिया में ख़बरें आ रही थीं कि टीम के कप्तान गांगुली का रैवेया खिलाड़ियों के साथ अच्छा नहीं है. इस बात को उन्होंने अपने मज़ाक का हथियार बनाया. ये मज़ाक इस स्तर तक पहुंच गया कि गांगुली ने अगली सुबह टीम की कप्तानी छोड़ने तक की बात कह डाली. तभी राहुल द्रविड ने इस मज़ाक को खोला. जैसे ही गांगुली को अप्रैल फ़ूल की बात पता चली उन्होंने बल्ला हाथ में लेकर युवराज और हरभजन सिंह को दौड़ा लिया.

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युवराज ने बताया कि T-20 वर्ल्ड कप जीतना, 6 गेंदों में 6 छक्के और 2011 वर्ल्ड कप जीतना सबसे सुखद अनुभव रहा. लेकिन जब कैंसर का पता चला तब उन्हें एक बड़ा झटका लगा. कैंसर से लड़ते वक़्त उन्हें परिवार के साथ-साथ अपने फ़ैन्स का बखूबी साथ मिला. इस जंग में जीत मिली. लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी काफ़ी मुश्किल हो गई.

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Feature Image Source: All India Round Up