आधुनिक छत्तीसगढ़ का नाम पहले दक्षिण कोशल था. छत्तीसगढ़ का इतिहास रामायण और महाभारत को भी समेटे हुए है. इससे अलग भी छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक महत्व है, जिसे देखने लोग पूरे भारत से आते रहते है.
छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक महत्व वाले किले भी हैं, झरने, पहाड़, वाइल्ड लाइफ़ सैंक्चुअरी और नेशनल पार्क भी हैं.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की आदिवासी संस्कृति भी लोगों को लुभाती है.
1. कवर्धा
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छत्तीसगढ़ के ज़िले कबीरधाम से कवर्धा की दूरी महज़ 2 किलोमीटर है. कवर्धा सकरी नदी के किनारे बसा हुआ हुआ है. यहां कभी नागवंशी राजाओं का शासन था.
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अब कवर्धा में देखने लायक स्थलों में भोरमदेव मंदिर, मड़वा महल, राधा कृष्ण मंदिर, कवर्धा महल, पुष्प सरोवर झील, सरोदा जलाशय और उजियार सागर है.
2. कोरिया
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कोरिया ज़िला झरनों के लिए प्रसिद्ध है. यहां के झरनों में सबसे प्रसिद्ध है अकुरी झरना. अकुरी कोरिया ज़िले का हिस्सा है. अकुरी आने के लिए सबसे पहले ट्रेन या बस से बैकुंठपुर आना होगा. बैकुंठपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर बंसीपुर गांव के पास अकुरी नाला है. गर्मी के मौसम में यहां देश भर से पर्यटक आते हैं. ख़ूबसूरत पहाड़ियों और झरनों के बीच स्थित ये जगह प्राकृतिक रूप से बहुत ठंडी रहती है. इसी के आस-पास गावर घाट, रामदहा और अमृत धारा झरने भी हैं.
3. लक्ष्मण मंदिर
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लक्ष्मण मंदिर भारत के प्राचीनतम ईंट से निर्मित मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की नक्काशी खजुराहो के मंदिरों से मिलती जुलती है. ये मंदिर खजुराहो के अन्य मंदिरों की तुलना में अधिक मजबूत है. इस मंदिर की कलाकृतियों को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले के अंतर्गत आता है. यहां रायपुर से आना बहुत आसन है. रायपुर से यहां की दूरी लगभग 83 किलोमीटर है.
4. तीरथगढ़ जलप्रपात
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तीरथगढ़ बस्तर ज़िले का हिस्सा है. बस्तर से यहां की दूरी लगभग 36 किलोमीटर है. कांगेर घाटी की पहाड़ियों से निकलते ये झरने 100 फ़ीट की उंचाई से नीचे गिरते हैं. आस-पास की पहाड़ियां और जंगल इस जगह को और ख़ूबसूरत बना देती है. यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.
5. कांगेर घाटी नेशनल पार्क
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कांगेर घाटी नेशनल पार्क एक ‘बायोस्फ़ीयर रिज़र्व’ है. यह नेशनल पार्क भारत के सबसे समृद्ध पार्कों में से एक है.
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इस बायोस्फ़ीयर रिज़र्व में भारत में पाए जाने वाले लगभग सारे जीव-जंतु पाए जाते हैं. अगर आप पिकनिक रिज़ॉर्ट की तलाश में हैं तो कांगेर धारा और भीमसा धारा रुक सकते हैं. इस पार्क में आदिवासी जनजातियां भी रहती हैं. उनसे घुलने-मिलने का मौका आपको यहां टहलते हुए मिल सकता है.
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यहां आने के लिए ट्रेन या बस से जगदलपुर आना होगा. जगदलपुर से यहां की दूरी मात्र 30 किलोमीटर है.
6. कुटुमसर गुफ़ा
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कुटुमसर की रहस्यमयी गुफ़ाएं आदिमानव के समय की हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये मानव निर्मित हैं.
‘फ़िजीकल रिसर्च लेबोरेटरी’ अहमदाबाद, ‘बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ़ पेल्को बोटनी’, लखनऊ और ‘भू-गर्भ अध्ययनशाला’ लखनऊ के वैज्ञानिकों ने कार्बन डेटिंग मेथड से ये बाताया है कि यहां प्रागैतिहासिक कालीन मानव रहते थे. बस्तर से यहां की दूरी मात्र तीस किलोमीटर है.
7. मदकू द्वीप
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ऐसी मान्यता है कि मंडूक ऋषि ने यहीं पर मंडूकोपनिषद की रचना की थी. उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मंडूक पड़ा. यहां खुदाई में कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं, जो 11वीं शताब्दी के कल्चुरी कालीन मंदिरों की श्रृंखला से मिलते-जुलते हैं.
यहां हर साल मसीही मेला लगता है. बोटिंग, सन सेट का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं. मदकू द्वीप की दूरी बिलासपुर शहर से लगभग 39 किलोमीटर है. यह शिवनाथ नदी के बीचों-बीच बसा हुआ है.
8. पचराही
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पचराही में हज़ारों साल पहले के हथियार, बर्तन और खिलौने मिले हैं. यहां कुछ प्राचीन काल के सिक्के भी मिले हैं, जिसे इतिहासकार नागवंशी राजाओं के समकालीन बताते हैं. इन सिक्कों में सोने, चांदी और तांबे के सिक्के भी शामिल हैं. देश-विदेश से पुरातत्वविद यहां घूमने आते हैं. पचराही कबीरधाम ज़िले के बोड़ला ब्लॉक का हिस्सा है.
यहां आने के लिए पहले कवर्धा आना पड़ता है. कवर्धा से यहां की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है.
9. गोरघाट
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गोरघाट कोरिया ज़िले का सबसे बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है. गोरघाट झरना हसदेव नदी का ही हिस्सा है. यहां का ख़ूबसूरत नज़ारा पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाता है. कोरिया से गोरघाट की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है.
10. सिंघनपुर गुफ़ा
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सिंघनपुर गुफ़ा में अतीत के बहुत से रहस्य छिपे हुए हैं. इस गुफ़ा के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित हैं. कुछ लोग कहते हैं कि इस गुफ़ा में अकूत संपत्ति छिपी हुई है, जिसकी रक्षा अदृश्य साधू करते हैं. कोई सीधी सड़क न होने से पर्यटक यहां नहीं आ पाते हैं. पुरातत्व विभाग के ध्यान न देने से इस जगह के विषय में कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं जुटाए जा सके हैं.
सिंघनपुर रायपुर ज़िले से लगभग 176 किलोमीटर दूर है.
छत्तीसगढ़ की ये विविधताएं इस राज्य को ख़ास बनाती हैं. प्राकृतिक रूप से समृद्ध छत्तीसगढ़ जैसी विविधता कहीं और कम देखने को मिलती है.