सभ्यता और संस्कृति से सजा भारत हर देश से अलग है. यहां के होली के रंग हों या ईद की सेंवई दोनों की मिठास एक है. यहां मुसलमान, हिंदुओं की दीपावली गले मिलते हैं, तो हिंदू, मुसमनाों की ईद में. रूप, रंग और भाषाएं कई हैं, लेकिन दिल से बांधने वाली प्यार की डोर एक है. यहां बच्चे को छोटे से ही नमस्ते करना और त्योहारों का महत्व बताया जाता है. क्या बोलूं अपने भारत के बारे में ये तो वो रंग है, जो हर एक पर चढ़ जाता है.

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आइए, आज भारत की संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताते हैं: 

1. नमस्ते

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घर आने वाले मेहमान का स्वागत सबसे पहले नमस्ते बोलकर किया जाता है. अपने से बड़ों से नमस्ते करना भारतीय सभ्यता में उनको सम्मान देने का प्रतीक होता है. यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और UN Secretary-General बान-की-मून को भी कई बार नमस्ते करते देखा गया है. नमस्ते, या नमस्कार, या ‘नमस्कार’ प्राचीन हिंदू शास्त्रों, वेदों में वर्णित पारंपरिक अभिवादन के पांच रूपों में से एक है. ये शाब्दिक रूप से ‘मैं आपको नमन करता हूं’ का अनुवाद करता है और इसके साथ एक-दूसरे का अभिवादन करते हुए ये कहने का एक तरीका है कि ‘हमारे मन मिलते हैं’.

2. हमेशा त्यौहारों की झलक

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भारत में बड़ी संख्या में त्यौहार मनाए जाते हैं, जिसका मुख्य कारण यहां पर रहने वाले अलग-अलग धर्मों के अनुयायी हैं. हर धर्म के अपने अलग त्यौहार हैं जैसे, मुसलमानों की ईद, ईसाईयों का क्रिसमस और गुड फ़्राईडे, सिखों की बैसाखी (फ़सल की कटाई) होती है और उनके गुरुओं के जन्मदिन, हिंदुओं की दीपावली, होली, मकर सक्रांति और जैनियों की महावीर जयंती और बुद्ध पूर्णिमा. इसके बाद भी भारत में त्योहारों की कमी नहीं हैं. यहां पर हर त्योहार को पूरे दिल से मनाया जाता है.

3. जॉइंट फ़ैमिली

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जॉइंट फ़ैमिली ये भारत की नींव है, भले ही आज लोगों को जॉब और पारिवारिक कारणों की वजह से अलग होकर अकेले रहना पड़ता है. फिर भी कुछ ऐसे परिवार हैं, जो आज भी संयुक्त हैं, जिसमें पूरे परिवार (माता-पिता, पत्नी, बच्चे और कुछ मामलों में रिश्तेदार) सभी एक साथ रहते हैं. संयुक्त परिवार होते ज़रूर बड़े हैं, लेकिन सुख में ख़ुशिया ख़ूब होती हैं और दुख में प्यार से हाथ रखने वाले दादी-दादा. 

4. व्रत रखना

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भारतीय सभ्यता में उपवास रखने का मतलब होता है भगवान को धन्यवाद देना. कुछ पाने के लिए और किसी की लंबी उम्र के लिए या भगवान में बहुत ज़्यादा आस्था रखने वाले व्रत रखते हैं. यहां पर करवाचौथ के व्रत की बहुत मान्यता है, जो शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए रखती हैं. इसके अलावा कई लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार दिन और भगवान को मानकर भी व्रत करते हैं.

5. गाय को पूजा जाता है

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भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहा जाता है. भगवान कृष्ण की साथी बांसुरी और राधा के अलावा गाय भी थी. गाय का दूध और गौमूत्र सब बहुत फ़ायदेमंद होता है. यहां तक कि भगवान कृष्ण को ‘गोविंदा’ या ‘गोपाल’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब ‘गाय का मित्र और रक्षक’ है. इसके अलावा भगवान शिव का विश्वसनीय वाहन नंदी है- पवित्र बैल. इसलिए गाय को खाना खिलाना या उसके रहने के लिए आश्रय देना बहुत पुण्य का काम होता है. गाय को मारना पाप माना जाता है. इसलिए, भारत के कई राज्यों में कानून के तहत गायों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

6. मंदिरों के अजब-ग़जब सच

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भारत में मंदिरों की संख्या बहुत है और सबका अपना-अपना महत्व भी है. मंदिर में जाकर लोगों को सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है. पूजा स्थलों में प्रवेश करने से पहले जूते उतारना भी एक प्रथा है.

7. अरेंज मैरिज

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भारत में सबसे ज़्यादा महत्व अरेंज मैरिज का है. वैदिक काल और सतयुग से चली आ रही अरेंज मैरिज की प्रथा को आज भी भारत में पूरे दिल से निभाया जाता है. दो लोग मिलते हैं और दो परिवार मिलते हैं, ये होती है अरेंज मैरिज की ख़ासियत. 

8. Religious Symbols

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‘ऊं’ और ‘स्वास्तिक’ ये धार्मिक चिह्न हैं कोई भी पूजा या गृह प्रवेश इनके बिना नहीं होता. भारतीय संस्कृति में इनका बहुत ज़्यादा महत्व है. माना जाता है कि चिह्नों के साथ कोई भी काम शुरू किया जाए, तो वो सफ़ल होता है.

9. अतिथि देवो भव:

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भारत में मेहमानों को भगवान समझा जाता है. अगर दुश्मन भी मेहमान बनकर आए, तो उसे भी बिना पानी पिये नहीं जाने दिया जाता है. अतिथि देवो भव:, संस्कृत का श्लोक है, जो बाद में ‘हिंदू समाज के लिए आचार संहिता’ का हिस्सा बन गया, क्योंकि भारत की संस्कृति में अतिथि का पद हमेशा सर्वोच्च रहा है. 

10. पारंपरिक परिधान

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भारतीय महिलाओं को अक्सर ‘साड़ी’ पहने देखा जाता है. इसे सादगी और बड़ों का सम्मान करने का प्रतीक माना जाता है. यहां सलवार-सूट से ज़्यादा महिलाएं आपको साड़ी में दिख जाएंगी. इसके अलावा पुरुषों का पहनावा पैंट-शर्ट या फिर कुर्ता-पायजामा होता है.

11. भारतीय डांस

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भारत में नृत्य के कई रूप हैं, क्योंकि यहां पर हर जगह की अपनी एक नृत्यशैली है. वो आठ शास्त्रीय नृत्य, जिन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है और जिनका हिंदू संस्कृत पाठ ‘नाट्यशास्त्र’ में एक उल्लेख मिलता है:

तमिलनाडु से भरतनाट्यम 
केरल से कथकली 
उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत के कथक 
केरल से मोहिनीअट्टम 
आंध्र प्रदेश से कुचिपुड़ी 
ओडिसी से ओडिसी 
मणिपुर से मणिपुरी असम से सतरिया

12. भारतीय खाना

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भारतीय खाने के स्वाद के तो क्या कहनें? यहां के जैसा खाना पूरी दुनिया में नहीं मिलेगा. भारत में खाने की बहुत वैरायटी हैं. यहां रोज़ के सिंपल खाने से लेकर हर त्यौहार का अपना अलग पकवान है, जिसका स्वाद हर घर में लिया जाता है.

यहां वहां सारा जहां देख लो, लेकिन भारत जैसा देश और इसके जैसी सभ्यता कहीं नहीं मिलेगी. 

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