कुछ दिनों बाद हम सब भारतीय आज़ादी के 70 साल को मनाने वाले हैं. उन शहीदों को नमन है जिन्होंने हमें आज़ाद भारत में रहने का तोहफ़ा दिया. 15 अगस्त के दिन स्कूलों में कई तरह के फ़ंक्शन होते हैं. साथ ही लोग इंडिया गेट और वाघा बॉर्डर जैसी जगहों पर भी जाना पसंद करते हैं. क्योंकि इस दिन यहां पर कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम के साथ-साथ शहीदों को नमन और श्रद्धांजलि दी जाती है.

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आइए बताते हैं आप इन दो जगहों के अलावा और कहां-कहां जा सकते हैं:

1. वाघा बॉर्डर

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अमृतसर के पास स्थित, वाघा बॉर्डर 1959 के बाद से हर दिन यहां आयोजित होने वाले झंडारोहण समारोह के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है. सूर्यास्त से पहले यहां हर शाम एक समारोह होता है, जहां बीएसएफ़ और पाकिस्तान रेंजर्स दोनों अपने-अपने राष्ट्रों के झंडे गाड़ते हैं. 

2. लाल क़िला 

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दिल्ली का लाल क़िला वो जगह है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री द्वारा आज़ादी के बाद पहली बार तिरंगा फ़हराने और भाषण का गवाह है. इस विशाल क़िले का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने 1639 में करवाया था. इस यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है.

3. जलियांवाला बाग

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जलियांवाला बाग वो जगह है, जिसने 13 अप्रैल 1919 को हज़ारों अहिंसावादी प्रदर्शनकारियों के नरसंहार को देखा था. अब इसे सभी शहीदों के सम्मान में एक राष्ट्रीय स्मारक में बदल दिया गया है. इसकी दीवारों पर अभी भी बुलेट के निशान देखे जा सकते हैं. 

4. कारगिल वॉर मेमोरियल

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कारगिल युद्ध स्मारक का निर्माण भारतीय सेना ने नब्बे के दशक के अंत में कारगिल युद्ध के शहीदों के सम्मान में किया था. स्मारक के बीच में सैंडस्टोन की दीवार पर उन सभी शहीदों के नाम हैं जिन्होंने इस युद्ध में जान गंवाई थी. टाइगर हिल और टोलोलोंग हिल भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सैनिकों को हराने के बाद हटाए गए क्षेत्र हैं और इस स्मारक से दिखाई देते हैं.

5. झांसी क़िला

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1857 में बना झांसी का क़िला भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई का ग़वाह है. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने क़िले को ब्रिटिश सैनिकों के आक्रमण से बचाया था जब वो इस पर कब्ज़ा करने आए थे. आज ये क़िला एक प्रसिद्ध जगह है.

6. इंडिया गेट

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दिल्ली में स्थित इंडिया गेट को 82,000 भारतीय सेना के सैनिकों के सम्मान में बनाया गया था, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफ़गान युद्ध में अपनी जान दी थी. इंडिया गेट की दीवारों पर इन बहादुर शहीदों के नाम अंकित हैं. बांग्लादेश को आज़ादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 1971 में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति जलाई गई.

7. सेल्यूलर जेल

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ब्रिटिश शासन के दौरान कालापानी के रूप में जाना जाता है. पोर्ट ब्लेयर में सेल्यूलर जेल एक कुख्यात जेल थी जिसका उपयोग अंग्रेज़ों ने पकड़े गए स्वतंत्रता सेनानियों को क़ैदियों के रूप में रखने के लिए किया था. 1857 के सिपाही विद्रोह के बाद निर्मित इस जेल में कैद स्वतंत्रता सेनानियों को रखने के लिए कई भयानक जगह बनाई गईं थीं. आज ये एक राष्ट्रीय स्मारक है, जहां स्वतंत्रता सेनानियों जिन्होंने अपने आखिरी दिन यहां सलाखों के पीछे बिताए थे, के सम्मान में हर शाम एक साउंड एंड लाइट शो आयोजित किया जाता है. 

8. नाथू ला पास

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गंगटोक से 52 किमी और 14,140 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित, नाथू ला दर्रा पुराना सिल्क रूट है जिसका उपयोग 1962 तक भारत और चीन के बीच व्यापार करने के लिए किया जाता था. आज ये भारत-चीन सीमा के रूप में जाना जाता है और एक पर्यटन स्थल है. यहां की महत्वपूर्ण संरचना नेहरू स्टोन है, जो 1958 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की यहां की पहली यात्रा का प्रतीक है.

9. पोरबंदर

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गुजरात में स्थित, पोरबंदर ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी’ का जन्म स्थान है. कीर्ति मंदिर और महात्मा गांधी की सभा यहां दो महत्वपूर्ण संरचनाएं हैं, जो गांधी से जुड़ी हैं. ये स्थान अब संग्रहालय में बदल गए हैं. जो गांधी के जीवन और लेखन को चित्रित करते हैं.

10. दांडी

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सूरत के पास स्थित, दांडी भारत में नमक का उत्पादन केंद्र है. यहीं पर महात्मा गांधी द्वारा 1930 में प्रसिद्ध दांडी मार्च का शुभारंभ किया गया था. स्वतंत्रता के लिए इस अहिंसावादी संघर्ष में हज़ारों लोगों ने गांधी जी का अनुसरण किया. ये जगह स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

11. तीन मूर्ति भवन

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भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अपनी मृत्यु तक 16 साल तक यहां रहे. भारत में ब्रिटिश सेनाओं के कमांडर इन चीफ़ के लिए 1930 में निर्मित, किशोर मूर्ति भवन का उपयोग आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री के घर के रूप में किया गया था. 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद, इसे भारतीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित म्यूज़ियम, लाइब्रेरी और एक तारामंडल में बदल दिया गया था.  

12. जैसलमेर बॉर्डर

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जैसलमेर बॉर्डर पाकिस्तान से भारत को अलग करता है. Laungewala और तनोट सीमा चौक जैसलमेर युद्ध संग्रहालय और इंदिरा गांधी नहर के साथ यहां के प्रमुख आकर्षण हैं.  

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