आज कल के समय की बात की जाए तो लोग अपने रंग-रूप को लेकर ज़्यादा गंभीर हो गए हैं. इस वजह से सब बहुत सुंदर दिखना चाहते हैं और इसके लिए महंगे से महंगा प्रोडक्ट ख़रीदने में भी ग़ुरेज नहीं करते. इसलिए अगर Beauty Industry की बात की जाए तो इसका बिज़नेस कुछ 532 बिलियन डॉलर का है. फिर भी ख़ूबसूरत दिखने में कहीं न कहीं कमी पड़ ही जाती है जिसके चलते जब भी बाज़ार में जाते हैं तो लोग पहले वाले से बेहतर ही मांगते हैं. ख़ैर, ये बहस उतनी ही पुरानी है जितना कि हमारा इतिहास. अगर इतिहास की बात आई ही है तो क्यों न एक बार अतीत में चलें और जानें की उस समय लोग ख़ूबसूरत दिखने के लिए क्या करते थे?
TikToker Zachary Margolis ने अपने Tiktok अकाउंट ‘Offbeat History’ में इन प्रोडक्ट के कई वीडियोज़ डाले थे, लेकिन टिकटॉक बंद होने की वजह से अब इन वीडियोज़ को Instagram पर देखा जा सकता है.
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1. 1920 के दशक में पोर्टेबल हेयर ड्रायर आया, जो उस समय के भारी हेयर ड्रायर की जगह एक सुविधाजनक विकल्प था. हालांकि, ये उपकरण बहुत ख़तरनाक था, जिससे जलने, करंट लगने और मौत का ख़तरा था.
2. एक्स-रे मशीन के आविष्कार के कुछ समय बाद, लोगों ने इस मशीन का इस्तेमाल मुहांसे, एक्ज़िमा और बालों को हटाने के लिए किया, जिसका दुष्प्रभाव Atrophy, अल्सरेशन और कैंसर हुआ.
3. प्राचीन ग्रीस में यूनी-ब्रो को पवित्रता और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता था. इसके चलते जिन महिलाओं की आईब्रो बीच में मिली नहीं थी, वो काले पाउडर से आई-ब्रो के बीच वाले हिस्से को काला कर लेती थीं, जबकि अन्य महिलाएं बकरी के बालों से बनी नकली आई-ब्रो लगाती थीं.
4. 1800 के दशक में पलकों को ट्रांसप्लांट कराना बहुत ज़ोरों-शोरों पर था, जिसके चलते विशेषज्ञों ने एक तरक़ीब निकाली और बालों को सीधे एक पतली सुई के ज़रिए पलकों में लगाने की शुरुआत की.
5. 1400 के दशक में इतालवी महिलाएं पतले होंठ चाहती थीं जो वहां बहुत ही कम महिलाओं के थे. इसलिए पेंटिंग बनवाते समय महिलाएं अपने होठों को ज़्यादा हाईलाइट नहीं करवाती थीं.
6. प्राचीन रोम में महिलाएं ग्लेडियेटर्स के पसीने से बने मॉइस्चराइज़र को चेहरे पर लगाती थीं. इसके चलते लड़ाई के बाद ग्लेडियेटर्स के पसीने को बेचा जाता था.
7. 1936 में Isabella Gilbert ने डिंपल-मेकर का आविष्कार किया, उस मशीन में दो सर्किल होते थो, जिन्हें चेहरे पर फ़िट करके डिंपल बनाने की कोशिश की जाती थी. हालांकि, Isabella की ये मशीन काम नहीं की.
8. जापान में Edo काल के दौरान, काले दांत विवाहित महिलाओं की सुंदरता की निशानी माने जाते थे. दांतों को काला करने की तरक़ीब दांतों को बुढ़ापे तक बचाए रखने में भी मदद करता था. हालांकि, 1870 में जापानी सरकार द्वारा इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. आपको बता दें, दांतों को काला करना सिर्फ़ जापान में ही लोकप्रिय नहीं था. यहां तक कि कुछ लोग आज भी दांतों को काला करते हैं.
9. फ़्रांस में पूर्व-क्रांति के चलते ख़ुद को गुस्से में दिखाने के लिए लोग अपनी नसों को नीली पेंसिल से रंगते थे. इसके अलावा अन्य लोग अपनी नसों को उत्तेजित दिखाने के लिए लीच का उपयोग करते थे.
10. 18वीं शताब्दी में हेयरस्प्रे के आविष्कार से पहले महिलाएं अपने विग को लगाने के लिए लार्ड यानि सुअर की चर्बी का इस्तेमाल करती थीं. विग के नीचे के हिस्से में चूहे अपना घोंसला बना लेते थे, इसलिए चूहों को दूर रखने के लिए महिलाओं को अपने सिर के चारों ओर पिंजरों के साथ सोना पड़ता था.
11. रोमवासी अपने दांत सफ़ेद करने के लिए मुंह पुर्तगाल से भेजे गए पेशाब से धोते थे.
12. मध्य युग में माथे को महिला के चेहरे का सबसे ख़ूबसूरत हिस्सा माना जाता था, जिसके चलते कई महिलाएं अपने माथे को सुंदर दिखाने के लिए अपनी हेयरलाइन और पलकें हटवा देतीं थीं.
13. 1920 के दशक के बीच में Coco Chanel के French Riviera पर एक Yatch में फ़ोटोशूट कराने के बाद कांस्य और धूप से प्रभावित हुआ रंग चर्चित हो गया. तब से सनटैन उन लोगों का स्टेटस सिंबल बन चुका था, जो गर्मियों की छुट्टी का ख़र्चा उठा सकते थे.
14. 19वीं शताब्दी में गोरा होने के लिए महिलाएं Arsenic Wafers खाती थीं जो शरीर के लिए बहुत ही ख़राब होता था. इसके दुष्प्रभावों में कैंसर, गंजापन और मिर्गी शामिल हैं. इसे 1902 में डिपार्टमेंट स्टोर से आसानी से खरीदा जा सकता था.
पढ़ना ज़रूर, लेकिन अपनाना नहीं!