अक़सर हम वो देखते हैं जो लोग हमें दिखाना चाहते हैं. पर हम वो नहीं देख पाते हैं, जो हमें देखना चाहिये. इसमें दोष आपका नहीं है, बल्कि फ़ोटोग्राफ़ी की कलाकारी का है. कभी-कभी मीडिया हमारे सामने ऐसी तस्वीरें रखती हैं, जिसे देख कर कोई भी इंसान धोखा खा जाये. तस्वीर की हकीक़त सिर्फ़ वही लोग बता सकते हैं, जो चीज़ों की तह तक जाकर उसकी तहकीकात करते हैं.

इसलिये Ólafur Steinar Gestsson और Philip Davali नामक फ़ोटोग्राफ़र्स ने Ritzau Scanpix नामक फ़ोटो कंपनी के लिए एक एक्सपेरीमेंट किया. इस प्रयोग में उन्होंने दिखाया कि कैसे फ़ोटोग्राफ़ी की मदद से लोगों को आसानी से बेवकूफ़ बनाया जा सकता है.

1. Telephoto-Lens से ली गई तस्वीर में लोग नज़दीक दिख रहे हैं.

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Wide-Angle शॉट लेने पर वही लोग दूर-दूर दिख रहे हैं.

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2. एक बार फिर से Telephoto-Lens का कमाल देखिये.

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वही तस्वीर Wide-Angle से बिल्कुल अलग दिख रही है.

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3. एक तस्वीर ऐसी भी.

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उसी फ़ोटो में लोग दूर-दूर हैं.

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4. इसी फ़ोटो को दूसरे एंगल से भी देखना.

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देखा न कितनी अलग दिख रही है तस्वीर.

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5. Telephoto-Lens की मदद से किसी को भी इस तरह से देखा जा सकता है.

उसी फ़ोटो को दूसरे एंगल से देखने पर कितना फ़र्क़ है.

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6. ख़ुद दे सकते हैं कि असल फ़ोटो में कितना अंतर है.

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7. ऐसी फ़ोटोग्राफ़ी करना भी आसान बात नहीं है. 

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8. बाप रे इतना दिमाग़ कहां से लाते हैं?

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9. फ़ोटोज़ से किसी को भी पागल बनाया जा सकता है. 

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10. बड़ा धोख़ा!

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11. ये फ़ेक तस्वीर तो आपको याद आ ही गई होगी.

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12. Frozen Venice की असलियत तो जानते ही होंगे आप.

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13. अगर फ़ोटोग्राफ़र टैलेंटेड हो तो कुछ भी कर सकता है. 

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14. फ़ोटोग्राफ़र इतना होशियार था कि Skyscraper पर चांद को फ़िट कर दिया. 

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15. बताओ ज़रा बच्चों को फ़ालतू में डरा दिया.

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इस एक्सपेरीमेंट के ज़रिये फ़ोटोग्राफ़र्स सिर्फ़ इतना बताना चाहते हैं कि हमें कभी भी तस्वीरों पर जाकर अपनी राय नहीं बनानी चाहिये. क्योंकि किसी भी तस्वीर के साथ हेर-फेर करना काफ़ी आसान होता है. फ़ोटोग्राफ़र्स की रिसर्च के बाद इनमें से कुछ तस्वीर हमने भी सर्च की और आप तक सच्चाई पहुंचाने की कोशिश की. उम्मीद है कि इसके बाद आप लोग सोच-विचार कर ही चीज़ों पर विश्वास करेंगे.