समय के साथ आगे बढ़ते रहना ज़रूरी होता है. मगर अच्छा लगता है कई बार ठहर कर, पुरानी बातों, यादों और किस्सों को जीना. जैसे एक पुराना गाना जो आपको उन बीते हुए दिनों की याद दिलाता हो.
बिलकुल ऐसा ही कुछ खाने के साथ भी होता है. आज भारत में तरह-तरह के रेस्टोरेंट खुल गए हैं, हम नए-नए व्यंजनों के साथ कई सारे प्रयोग भी कर रहे हैं. इन सब के बीच आज भी कुछ ऐसे रेस्टोरेंट्स हैं जो दशकों से लोगों को वही स्वादिष्ट भोजन परोस रहे हैं जिनका एक निवाला लेते ही एहसास हो जाता है कि कुछ चीज़ें और स्वाद समय से परे होते हैं. वो जितने पुराने होते जाते हैं उनका स्वाद उतना ही और लज़ीज़ होता जाता है.
आज हम कुछ ऐसे ही रेस्टोरेंट्स के बारे में बात करेंगे जो भारत की आज़ादी से भी पहले चल रहे थे और आज भी चल रहे हैं. बेशक इनमें कुछ तो बदलाव हुए ही होंगे मगर इससे ज़्यादा क्या ख़ूबसूरत होगा की जिन जगहों ने दुनिया को बदलते देखा वो आज भी उतनी ही मज़बूती से खड़े हम सबको स्वाद बांट रहे हैं.
1. टुंडे कबाब, लखनऊ

वैश्विक रूप से अपने शानदार गलौटी कबाब, कोरमा और बिरयानी के लिए प्रसिद्ध लखनऊ के टुंडे कबाबी को 1905 में हाजी मुराद अली द्वारा स्थापित किया गया था. पुराने लखनऊ में स्थित इस सालों पुराने रेस्टोरेंट में आज भी लोगों की उतनी ही भीड़ लगती है.
2. इंडियन कॉफ़ी हाउस, कोलकाता

इंडियन कॉफ़ी हाउस एक लम्बे समय तक छात्रों और बुद्धिजीवीयों के मिलने की जगह रही है. 1942 में अस्तित्व में आए इस कॉफ़ी हाउस में रवींद्रनाथ टैगोर, अमर्त्य सेन, मन्ना डे, सत्यजीत रे जैसी महान शख़्शियतें का आना-जाना रहता था. मटन कटलेट और चिकन कबीराज़ी वहां की स्पेशलिटी है.
3. ब्रिटानिया एंड कंपनी, मुंबई

मुंबई के सबसे पसंदीदा रेस्टोरेंट में से एक, ब्रिटानिया ने पहली बार 1923 में फ़ोर्ट क्षेत्र में तैनात ब्रिटिश अधिकारियों के लिए अपने दरवाज़े खोले थे. यहां पर पारंपरिक पारसी खाना मिलता है. आज भी अपने वही पुराने रंग-रूप में होने की वजह से वहां का जादू बरक़रार है.
4. मावल्ली टिफ़िन रूम, बेंगलुरु

यह परमपल्ली यज्ञनारायण मैया और उनके भाइयों द्वारा वर्ष 1924 में स्थापित हुआ था. तटीय कर्नाटक के उडुपी व्यंजनों में इसको ख़ास महारत हासिल है. यह रेस्टोरेंट अपनी साफ़-सफाई को लेकर बहुत ध्यान देता है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, चावल की आपूर्ति में भारी कमी के कारण यहीं पर ‘रवा इडली’ का आविष्कार हुआ था.
5. दिल्ली मिष्ठान भंडार, मेघालय

शिलांग के हलचल भरे पुलिस बाज़ार में स्थित, दिल्ली मिष्ठान भंडार 1930 के बाद से ही स्थानीय लोगों को स्वादिष्ट मिठाई, सेवई और बहुत सारे पकवान परोस रहा है. यहां आपको शहर की सबसे अच्छी जलेबी और गुलाब जामुन मिलेगी. इस दुकान ने वर्ष 2008 में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. दुनिया की सबसे बड़ी जलेबी, 75 इंच व्यास और 15 किलोग्राम वजन को तलने के लिए.
6. लियोपोल्ड्स कैफ़े, मुंबई

1871 में स्थापित, लियोपोल्ड (लियो) मुंबई के सबसे प्रतिष्ठित कैफ़े में से एक है. यह आपको बॉम्बे की याद दिलाता है. यहां आपको बर्गर से लेकर बियर तक सब मिलेगा.
7. ग्लेनरी, दार्जिलिंग

यह एक बेकरी और रेस्टोरेंट दोनों है जो 100 साल से भी पुराना है. स्थानीय लोग हों या टूरिस्ट, शहर में आने वाला हर इंसान यहां ज़रूर आता है.
8. करीम, दिल्ली

1913 में हाजी करीमुद्दीन द्वारा स्थापित, करीम ने अपने लज़ीज़ मांसाहारी भोजन के लिए कई पुरस्कार जीते हैं. पुरानी दिल्ली में बने इस रेस्टोरेंट में आज भी मुग़लों के समय से चली आ रही रेसिपीज़ बनाई जाती हैं.
9. फ़ेवरिट केबिन, कोलकाता

इसकी स्थापना 1918 में नूतन चंद्र बैरवा और उनके बड़े भाई गौर चंद्र बैरवा ने की थी. स्वतंत्रता सेनानी जैसे सुभाष चन्द्र बोस और कवि जैसे काज़ी नज़रूल इस्लाम का यह अड्डा हुआ करता था. यह कोलकाता की सबसे पुरानी चाय की स्टॉल में से एक है.
10. जोशी बुढाका माहिम हलवा, मुंबई

यह जगह 200 साल पुरानी है. संस्थापक, गिरिधर मावजी उन दिनों एक विशेष हलवा बेचते थे, जो धीरे-धीरे पूरे मुंबई में लोकप्रिय हो गया और आज यहां दुनियाभर से लोग आते हैं. पारंपरिक हलवे के विपरीत, माहिम हलवा को गेहूं, चीनी और घी के पके हुए मिश्रण को शीट के रूप में तैयार किया जाता है जिसे ठंडा होने के बाद वर्गों में काटा जाता है.
11. रेयर्स मेस, चेन्नई

मायलापुर में एक तंग नुक्कड़ में स्थित, रेयर्स मेस की स्थापना 1940 में श्रीनिवास राव द्वारा की गई थी. यहां आपको मुलायम इडली, वड़ा और कड़क कॉफ़ी मिलेगी. लोग दूर-दूर से यहां पर खाना खाने आते हैं.
12. हरि राम एंड संस, इलाहाबाद

1890 में स्थापित, हरि राम एंड संस इलाहाबाद की सबसे पुरानी स्ट्रीट फ़ूड शॉप्स में से एक है. यहां की चीज़ें शुद्ध घी में बनी हैं. चाट, पालक की नमकीन, मसाला समोसे, और खस्ता कचौरी यहां के प्रसिद्ध स्नैक्स हैं.
13. फ़्लूरिस, कोलकाता

कोलकाता के पार्क स्ट्रीट पर स्थित, फ़्लूरिस(Flurys) की स्थापना वर्ष 1927 में फ़्लूरी दंपति ने की थी. आज़ादी से पहले का ये रेस्टोरेंट आज भी उस दौर की कहानी कहता है.
14. दोराबजी एंड संस, पुणे

पुणे में इस पुराने रेस्टोरेंट की शुरुआत 1878 में दोराबजी सोराबजी ने की थी. पहले एक चाय की स्टॉल, फिर स्नैक्स की और अब यहां पर भोजन भी मिलता है. पारंपरिक पारसी खाना यहां की ख़ासियत है.
15. यूनाइटेड कॉफ़ी हाउस, दिल्ली

1942 में चालू हुए इस कॉफ़ी हाउस की दिल्ली वासियों के दिलों में ख़ास जगह है. कनॉट प्लेस में बसे इस कॉफ़ी हाउस ने बदलते भारत को बेहद क़रीब से देखा है. दिल्ली की राजनीति का ये गवाह रहा है.
16. श्री सागर (सीटीआर), बेंगलुरु

1940 में स्थापित, श्री सागर, जिसे सीटीआर(CTR) के नाम से जाना जाता है. बेंगलुरु के सबसे प्रसिद्ध रेस्टोरेंट में से एक है. फ़िल्टर कॉफ़ी और इसकी मसाला डोसा सबसे चर्चित है.
17. चाफेकर दुग्ध मंदिर, नागपुर

1931 में वासुदेव गोविंद चाफेकर और उनके मित्र नारायण सखाराम पालकर द्वारा स्थापित, चाफेकर दुग्ध मंदिर नागपुर के स्वतंत्रता सेनानियों का अड्डा हुआ करता था. भोजनालय दही मिसल, साबुदाना वड़ा, श्रीखंड, खिचड़ी, मसाला दूध और स्थानीय पसंदीदा, पीयूष जैसी व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है.
18. शेख़ ब्रदर्स बेकरी, गुवाहाटी

1800 के समय में शेख़ गुलाम इब्राहिम द्वारा यह स्थापित किया गया था. न केवल स्थानीय लोगों का बल्कि अंग्रेज़ी अधिकारियों का भी ये पसंदीदा था. यह जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की भी पसंदीदा बेकरी थी.
19. मित्र समाज, उडुपी

यह 100 साल से भी पुराना भिजनली है जो पारंपरिक उडुपी खाना बनाने में माहिर है. डोसा, इडली, मैंगलोर भज्जी यहां की ख़ासियत हैं. भोजनालय, मंदिर वाली खाना पकाने की उडुपी परंपरा का पालन करता है जिसके तहत प्याज, लहसुन और मूली का उपयोग निषिद्ध है.
20. निज़ाम’स रेस्टोरेंट, कोलकाता

निज़ाम की स्थापना 1932 में रज़ा हसन साहब ने की थी जिन्होंने अपने इकलौते बेटे के नाम पर इस जगह का नाम रखा था. इस की कहानी ये है कि एक दिन एक विदेशी ग्राहक जो की बड़ी हड़बड़ी में था, उसने कुछ हल्का, सूखा और कम से कम गंदगी फ़ैलाने वाले भोजन की मांग की और साथ ही वो उसे जल्दी से ले भी जा सके. इस ग्राहक की मांग पूरी करने की वजह से निज़ाम के कबाब रोल का जन्म हुआ.
21. बदेमिया, मुंबई

1942 में खोला गया, मुंबई में कोलाबा में बसने से पहले बदेमिया स्टॉल ने आज़ादी से पहले वर्षों तक इधर-उधर स्टॉल लगाई है. इसकी शुरुआत मोहम्मद यासीन ने की थी. यह जगह तीखे कबाब और बिरयानी के लिए प्रसिद्ध है.
22. केसर दा ढाबा, अमृतसर

केसर दा ढाबा की स्थापना, लाला केसर मल और उनकी पत्नी ने 1916 में पाकिस्तान के शेखूपुरा में की थी. यह 1947 में भारत के विभाजन के बाद अमृतसर में चला गया. यहां अक्सर लाला लाजपत राय और जवाहरलाल नेहरू आया करते थे. यहां की दाल मखनी, पालक पनीर, और फिरनी का तो कोई जवाब ही नहीं है.
23. कन्फ़ेटेरिया 31 डी जनेरियो, पणजी

80 साल से भी पुरानी ये गोवा की सबसे पुरानी बेकरियों में से एक है. यहां आपको पारंपरिक गोवा की मिठाइयां मिल जाएंगी. अखरोट का केक, बेबिनका और बहुत कुछ.
24. पंचम पुरीवाला, मुंबई

पंचम पुरीवाला की स्थापना 150 साल पहले की गई थी. जब इसके संस्थापक, पंचम आगरा से बॉम्बे आए थे. उनकी पूड़ियां स्थानीय लोगों को इतनी पसंद आई की ये भोजनालय सात पीढ़ियों बाद भी चल रहा है.