पश्चिम बंगाल कई अलग-अलग तरह के व्यंजनों के लिए जाना जाता है लेकिन अलग अलग व्यंजनों के साथ बंगाल में सबसे ज़्यादा जो व्यंजन पसंद किया जाता है, वो है मिठाई. उसपर भी बंगाल के रसगुल्लों के क्या कहने! रसगुल्ले बंगाल में इतने ज़्यादा पसंद किये जाते हैं कि कोई भी जैसे भी बंगाल का नाम सुनता है उसे रसगुल्लों की ही याद आती है.

अब क्योंकि बंगाल के रसगुल्ले इतने फ़ेमस हैं तो उनका वहां का कुछ इतिहास भी है. कई लोगों का मानना है कि रसगुल्ला 1868 में कोलकाता के नोबिन चन्द्र दास द्वारा बनाया गया था. हालांकि कई लोग मानते हैं रसगुल्ला पहली बार ओड़िशा में बना था. ख़ैर हम इस बहस में नहीं जाते हैं और आपको बताते हैं कि अगर आप कभी कोलकाता जा रहे हों तो इन 6 ऐतिहासिक जगहों से रसगुल्ला खाना मत भूलियेगा.

1. नोबिन चंद्र दास एंड संस, शोभाबाजार:
जैसा कि ऊपर बताया कि कई लोगों का मानना है कि नोबिन चंद्र दास ने ही पहली बार रसगुल्ला बनाया था. बाद में उनके परिवार वालों ने इसे आगे बढ़ाया. यहीं से रसगुल्ला पूरे देश और दुनिया में फैला. ऐसे में आपको ऐसी दुकान से, जहां पहली बार रसगुल्ला बना था, रसगुल्ला खाना नहीं मिस कर करना चाहिए.

2. बालाराम मलिक & राधारमण मलिक, बल्लीगंज:
कोलकाता के बल्लीगंज की ये दुकान भी शहर की सबसे पुरानी दुकानों में से एक है. यहां आपको बेहतरीन रसगुल्लों के साथ-साथ स्वादिष्ट सन्देश और तरह-तरह की मिष्टी मिल जायेगी जिसका स्वाद आप चाहकर भी नहीं भुला पाएंगे. यह दुकान 1885 में शुरू हुई थी और अब तो आप यहां से ऑनलाइन भी आर्डर कर सकते हैं.

3. गिरीश चन्द्र डे एंड नाकुर चन्द्र नन्दी, रामदुलाल सरकार स्ट्रीट
पिछले कई सालों के कोलकाता में मिठाई घोलती एक और दुकान. गिरीश चन्द्र डे एंड नाकुर चन्द्र नन्दी 1844 से लोगों का मुंह मीठा कर रहे हैं. इनकी प्रसिद्धि का इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के शादी के रिसेप्शन पर यहीं की चॉकलेट, पारिजात और सन्देश गए थे. आप यहां के रसगुल्ले बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहेंगे.

4. के.सी. दास, कई सारे आउटलेट्स:
नोबिन चंद्र दास के एकलौते बेटे कृष्ण चंद्र दास ने 1930 में कृष्ण चंद्र दास या के. सी. दास के नाम से अपनी दुकान खोली. कृष्ण चंद्र दास ने डिब्बा-बंद रसगुल्लों का चलन शुरू किया जो पूरे देश में ख़ूब चला. के.सी. दास ने ही पहली बार रसमलाई बनायी थी. आप यहां जाएँ तो रसगुल्ले के साथ रसमलाई खाना ना भूलें.

5. भीम चंद्र नाग, बोवबाजार:
बोवबाजार की ये छोटी सी शॉप रसगुल्लों के साथ-साथ कई बेहतरीन मिठाई रखती है. पारन चंद्र नाग ने 1826 में इस दुकान की स्थापना की थी. भीम चंद्र नाग को कोलकाता के लोकप्रिय मिठाई लेडीकेनी का आविष्कारक माना जाता है, जिसका नाम ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड कैनिंग की पत्नी लेडी कैनिंग के नाम पर रखा गया है. आप यहां के रसगुल्लों के साथ मिष्टी-दोई भी ज़रूर आजमाएं.

6. चित्तरंजन मिष्ठान भण्डार, श्याम बाज़ार:
अपने मुंह में पानी ला देने वाले रसगुल्लों के लिए जाना जाने वाला चित्तरंजन मिष्ठान भण्डार आपको ज़रूर जाना चाहिए. यहां के रसगुल्ले मुंह में रखते ही पिघल जाने वाले होते हैं. इन रसगुल्लों को कोलकाता में मिलने वाले सबसे बेहतरीन रसगुल्लों में से एक माना जाता है.

ये हैं कोलकाता की 6 स्वाद भरी जगहें जो अपने स्वाद के साथ स्वादिष्ट इतिहास भी समेटे हुए हैं.