हिमाचल प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध कस्बे ‘मैक्लॉडगंज’ का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा. मैक्लॉडगंज धर्मशाला से मात्र 7 किमी की दूरी पर स्थित है. शिवालिक की पहाड़ियों पर मैक्लॉडगंज स्वर्ग से कम नहीं है. बौद्ध मठों, ख़ूबसूरत वादियों और बेहतरीन मौसम को ओढ़े मैक्लॉडगंज पर प्रकृति मेहरबान है. मैक्लॉडगंज के आस-पास बहुत सारे ट्रेकिंग स्पॉट्स हैं. जहां सैलानी पैराग्लाइडिंग, पैरासेलिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का मज़ा ले सकते हैं.

मैक्लॉडगंज वर्तमान में तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा का आधिकारिक निवास है. हर साल हज़ारों की संख्या में विदेशी सैलानी यहां सिर्फ़ इसलिए आते हैं ताकि वो यहां के आध्यात्मिक परिवेश को समझ सकें. दलाई लामा के आते ही यहां भीड़ उमड़ने लगती है. बौद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा और उनके समर्थक तिब्बती शरणार्थियों की वजह से मैक्लॉडगंज दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है.
अगर आप भी मैक्लॉडगंज जाने की तैयारी कर रहे हैं तो यहां की इन 6 ख़ूबसूरत जगहों पर जाना न भूलें-
1- दलाई लामा मंदिर के दर्शन

‘Tsuglagkhang दलाई लामा मंदिर’ मैक्लॉडगंज की पहचान है. मुख्य बाज़ार के पास ही स्थित इस मंदिर में शाक्य मुनि, अवलोकितेश्वर एवं पद्मसंभव की मूर्तियां विराजमान हैं. देवदार के घने पेड़ों के बीच स्थित ये मंदिर हमेशा सैलानियों से भरा रहता है. इस परिसर का वातावरण बेहद शांत है, जहां घंटों बैठकर प्रभु का ध्यान किया जा सकता है. इस मंदिर से सनसेट का नज़ारा देखना अपने आप में अद्भुत होता है. यहां से धौलाधार पीक का नज़ारा बेहद शानदार दिखता है.
2- भाग्सु वाटर फ़ॉल में फ़ोटोग्राफ़ी

‘भाग्सु वाटर फ़ॉल’ मैक्लॉडगंज के आकर्षण का मुख़्य केंद्र है. ख़ासकर गर्मियों के सीज़न में भाग्सुनाथ फ़ॉल पर्यटकों से खचाखच भरा रहता है. यहां लोग घंटों पत्थरों पर बैठकर झरने की फ़ुहारों का आनंद लेते हैं. इस झरने से पहले आपको भाग्सुनाथ मंदिर के दर्शन करने को मिलेंगे. इसके पास ही में एक स्विमिंग पूल भी बनाया गया है जहां गर्मियों में पर्यटक एंजॉय करते हैं.
3- Triund की ट्रेकिंग का मज़ा

Triund सैलानियों के बीच ट्रेकिंग के लिए काफ़ी मशहूर है. करीब 4 घंटे की इस ट्रेकिंग के बाद के बाद सैलानियों को बर्फ़ से ढकी धौलाधार की पहाड़ियों के दर्शन होते हैं. हर तरफ़ बर्फ़ ही बर्फ़, ऐसा लगता है कि मानो किसी ने सफ़ेद चादर से पहाड़ी को ढक दिया हो. आराम करने के लिए यहां आप टेंट किराये पर ले सकते हैं. अगर आप भी ट्रेकिंग के शौक़ीन हैं, तो दिसम्बर और जनवरी में यहां की ट्रिप न बनायें.
4- मैक्लॉडगंज की ‘डल लेक’ में बोटिंग

‘डल लेक’ सिर्फ़ श्रीनगर में ही नहीं बल्कि मैक्लॉडगंज भी है. भले ही ये लेक श्रीनगर वाली ‘डल लेक’ जितनी बड़ी न हो, लेकिन ख़ूबसूरती के मामले में ये उससे कुछ कम नहीं है. यहां आप बोटिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं.
5- ग्युटो तान्त्रिक मॉनेस्ट्री की विज़िट

‘ग्युटो तान्त्रिक मॉनेस्ट्री’ मैक्लॉडगंज से करीब 16 किमी पहले पड़ती है. यहां भारत और तिब्बत की संस्कृतियों का संगम भी देखने को मिलता है. यहां तिब्बती संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता एक पुस्तकालय है. इस मोनेस्ट्री में महात्मा बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा भी है.
6- सेंट जॉन चर्च की प्रार्थना

सन 1852 में बना ‘सेंट जॉन चर्च’ मैक्लॉडगंज के आकर्षण का मुख़्य केंद्र है. ये ख़ूबसूरत चर्च साल 1852 में Lord Elgin के समय में बना था. Lord Elgin भारत के गवर्नर जनरल थे. बेहद शांत इलाके में घने जंगलों के बीच स्थित इस चर्च में क्रिसमस के दिन काफ़ी भीड़ देखने को मिलती है.
7- Tibetan Institute of Performing Arts में Folk डांस

ये संस्था तिब्बत की सांस्कृतिक झलकियों को दिखाती है. तिब्बत की लोक संस्कृति और संगीत को सैलानियों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए यहां हर दिन कई तरह के कार्यक्रम होते हैं. जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करते हैं.
8- मैक्लॉडगंज के मुख़्य बाज़ार में शॉपिंग

अगर आप शॉपिंग के शौक़ीन हैं, तो मैक्लॉडगंज के मुख़्य बाज़ार ज़रूर जाएं. यहां पर आपको तिब्बती लोग सड़कों पर टोकरियां, पर्स, पेंटिंग्स और गहने बेचते मिल जायेंगे. यहां हाथ से बने गर्म कपडे, केम्पिंग और ट्रेकिंग का सामान भी बड़ी आसानी से मिल जाता है. यहां के मुख़्य बाज़ार में कुछ बेहतरीन कैफ़े भी मौजूद हैं, जहां आप तिब्बती खाने का मज़ा ले सकते हैं. यहां के रोड साइड फ़्राइड मोमो ज़रूर ट्राई करें.

कैसे पहुंचे?
दिल्ली से मैक्लॉडगंज की दूरी लगभग 492 किमी है. ट्रेन से पठानकोट तक पहुंचा जा सकता है. यहां से सड़क मार्ग द्वारा मैक्लॉडगंज आसानी से जा सकते हैं. सड़क मार्ग से यहां पहुंचने के लिए चंडीगढ़ होते हुए पहले धर्मशाला फिर मैक्लॉडगंज पहुंचा जा सकता है. हवाई जहाज से जाने वालों के लिए नज़दीकी एयरपोर्ट गगल है जो कि धर्मशाला से 15 किमी दूर है.

कब जाएं?
मैक्लॉडगंज घूमने का प्लान कर रहे हैं तो मार्च से लेकर जून या फिर सितम्बर से लेकर नवंबर तक का समय उचित होगा.

अगर आपको अभी तक इस ख़ूबसूरत हिल स्टेशन जाने का मौका नहीं मिला है, तो बैग पैक करें और निकल पड़िये इस ख़ूबसूरत जगह.