वक्‍त बदल रहा है और इस बदलते वक़्त में जो सबसे ज़्यादा बदले है वो हम हैं. 90 के दशक से लेकर नए साल के आने तक पता नहीं कितना बदलाव देखा है हमने. घरों में रखे लैंडलाईन की घंटी बजते है उसे उठाने के लिए दौड़ लगाने से लेकर आज जेब में रखे मोबाईल की कॉल्स को इग्नोर करने तक. खैर ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ हम बदले हैं, बचपन में दुकानों में जिस टॉफ़ी के पैकेट को देख कर मम्मी से ज़िद करते थे वो भी बदल गई हैं. कैसे? चलिए आपको उन्ही बचपन की गलियों में एक बार फिर ले कर चलते हैं और दिखाते हैं कि सिर्फ़ हम नहीं, हमारे प्यारे ब्रैंड्स ने भी अपना हुलिया बदल लिया है. 

बचपन की इन यादों को समेट कर रखना और फिर उन्हें बदलता देखना एक रोमाच भी देता है

1. पॉपिंस

इसकी मिठास और रंगों के बीच होने वाली लड़ाइयां हम कभी नहीं भूल सकते. तो बदला रैपर कैसे भल जाएंगे. 90 के दशक के लोग इससे वाकिफ़ होंगे

2. कोलगेट

90 के दशक में इसके बिना तो हमारी सुबह ही शुरू नहीं हो सकती थी. आज भी इसके बिना सुबह नहीं होती, लेकिन अब इसने अपना रंग रूप बदल लिया है.

3. डालडा

इसको याद कर के मम्मी के हाथ की पूडियां याद आ गई. पूडियां नहीं बदलीं, बस अब डालडा स्मार्ट हो गया है.

4. मिल्क बिकिस बिस्किट

कभी-कभी लंच टाइम में यहीं साथी होता था और दोस्तों के बीच बहस की वजह भी.

5. अंकल चिप्स

90 के दशक में ट्रेन के सफ़र में इसका होना ज़रूरी था और बांट कर खाना शायद उसी ट्रेन के सफ़र ने सिखा दिया.

6. धारा 

‘मैं घर छोड़ कर जा रहा हूं’ कुछ याद आया. धारा का नाम सुन कर आज भी ये ऐड पूरा बचपन घुमा देता है. 90 के दशक का ये ऐड आज भी लैंडमार्क है.

7. कोलगेट पाउडर

ये हम चुरा कर खाते थे. इसका इस्तेमाल तो मम्मी ने पता नहीं क्या-क्या साफ़ करने के लिए किया है.

8. कोका-कोला

स्वैग के लिए कोका-कोला ज़रूरी थी. ज़रूरत आज भी इसकी पड़ती है. अगर आप मेरा मतलब समझ गए हों तो.

9- डेरी मिल्क

ये सिर्फ़ स्पेशल दिन घर वाले दिलवाते थे

10- रुपा 

हम सब ने इसे पहन कर ही अपना बचपन गुज़ारा है

अगर आपके पास भी ऐसी कोई पुरानी पिक्स हों,तो कमेंट बॉक्स में लिख कर ज़रूर बताएं. तब तब इन तस्वीरों को देख अपने बचपन की यादों में कही खो जाए. क्योंकि बचपन से अच्छा कुछ नहीं