प्यार और अपनापन जितना कहने में आसान है उतना निभाने में मुश्किल. ये प्यार सिर्फ प्रेमियों तक सीमित नहीं रहता है…आप इसे हर रिश्ते के साथ जोड़ सकते हैं. कई बार आप इसमें जीत जाते हैं तो कई बार हारते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक शक़्स की कहानी से रू-ब-रू करवाएंगे, जिसने अपने जीवन में जो कुछ भी कमाया अपने परिवार पर लुटा दिया लेकिन ज़रूरत के समय उसी परिवार ने उसे भगा दिया!

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प्रयागराज के रहने वाले एक शख़्स के पिता 22 साल की उम्र में गुज़र गए थे. घर पर मां, बीवी, 2.5 और 6 साल के दो छोटे भाइयों की ज़िम्मेदारी इन्हें मुंबई खींच लाई. जहां वो दिहाड़ी पर मजदूरी करके रोज़ 500 रुपये कमाते थे. दोनों पति-पत्नी ने छोटे भाइयों को ही अपने बच्चों की तरह पाला. Humans Of Bombay से हुई उन की बातचीत में उन्होंने कहा,

मेरी पत्नी, कुसुम जी और मेरे कभी बच्चे नहीं हुए तो हमने मेरे भाइयों को ही अपने बच्चों की तरह बड़ा किया. मैंने उन्हें इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेजा, अगर हमारे पास दो रोटी होती थी तो कुसुम जी कहती थीं, ‘बच्चों में बांट दो’ और हम खली पेट सोते थे.

आर्थिक तंगी के बावजूद दोनों ने  हर मुमकिन कोशिश की दोनों भाइयों को एक अच्छा और सुन्दर जीवन देने की. जब कॉलेज का समय आया तब फ़ीस चुकाने के लिए वह कुसुम जी को अलाहबाद छोड़ दोबारा मुंबई आ गए. दिन में टैक्सी चलते और रात को फ़ुटपाथ पर सोते. इतना ही नहीं 1 लाख का क़र्ज़ तक ले लिया था. दोनों पति -पत्नी को दूर रहकर भी जो चीज़ जोड़े हुई थी वो था प्यार और मिलने की आस. जब ये सब ख़त्म होगा और वो वापस अपनी कुसुम जी के साथ होंगे, हमेशा के लिए! मगर दोस्तों जीवन इसी का नाम है, जैसा सोचो वैसा कभी नहीं होता है. उनके जीवन का सबसे बुरा समय तब आया जब कुसुम जी की तबियत ख़राब हो गई, 

कुसुम जी बीमार पड़ गईं इसलिए मैं इलाहाबाद लौट आया. फिर, मां चली गईं और मैं अपने जीवन के सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहा था. पहली बार, मैंने अपने भाइयों से पूछा, ‘थोड़े पैसे चाहिए-भाभी बहुत बीमार हैं’ लेकिन उन्होंने मेरे मुंह पर दरवाज़ा बंद कर दिया और बोले, ‘हमारे पास कुछ नहीं है!

जिन भाइयों के लिए दोनों ने इतना कुछ किया आज ज़रूरत आने पर उन्होंने ही साथ छोड़ दिया. धीरे-धीरे कुसुम जी काफ़ी बीमार पड़ गई, और जाते समय भी उन्होंने बस यही कहा, 

माफ़ कर दो उनको… बच्चे कितनी भी गलतियां करें मां-बाप तो उन्हें माफ़ ही कर देते हैं.

आज वो मुंबई में ही टैक्सी चलाते हैं और हर पल अपनी कुसुम जी को याद करते हैं! ये कहानी प्यार के जीतने और हारने दोनों की थी…. तुम चले जाओगे पर थोड़ा-सा यहां भी रह जाओगे !!