नया साल दस्तक देने को है और कोरोना वायरस की वैक्सीन बाज़ार में आने के लिए तैयार है. ऐसे में कई महीनों से अपने घरों में बंद लोग जम कर ट्रैवल प्लान बना रहें हैं. और इतने समय बाद जब सब लोग घूमने निकलेंगे तो मशहूर जगहों पर भीड़ हो जाना लाज़िमी है.
ऐसे में आपको भीड़ का सामना न करना पड़े और आप शांति से प्रकृति का लुफ़्त उठा पाएं, इसलिए चलिए जानते हैं उत्तराखंड के कुछ ऑफ़-बीट डेस्टिनेशंस के बारे में:
1. पंगूत
नैनीताल में पड़ने वाला ये छोटा-सा गांव नैना पीक रेंज के घने जंगल के बीच, कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है. ये ‘पक्षी प्रेमियों के स्वर्ग’ के रूप में प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां लगभग 150 प्रजातियों के पक्षी वास करते हैं. यहां से आप स्नो व्यू पॉइंट और किलबरी की ओर जा सकते हैं जहां से पक्षियों को बहुत आराम से देखा जा सकता है. ये गांव नैनीताल से लगभग 13 किमी दूर है.
2. माणा
चमोली जिला में पड़ने वाला ये गांव उत्तराखंड के सभी ऑफ़-बीट डेस्टिनेशंस सबसे दूर है. ये इस इलाक़े में भारत का आख़िरी गांव है, जिसके दूसरी तरह चीन है.ये गांव साल के कई महीनों तक बाकी देश से कटा रहता है. हालांकि, ये जोशीमठ से एक पक्के सड़क से जुड़ा हुआ है.
3. चोपता
सदाबहार जंगल और ख़ूबसूरत मैदानी इलाक़े वाला ये छोटा-सा क्षेत्र है, उत्तराखंड के केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का एक हिस्सा है. ये ट्रैकिंग करके तुंगनाथ जाने वालों के लिए बेस भी है. यहां से आप पंच केदार मंदिर और चंद्रशिला शिखर तक ट्रेकिंग करते हुए भी जा सकते हैं.
4. मुनस्यारी
हिमालय की गोद में बसा मुनस्यारी अपने ट्रैकिंग करने वालों के लिए स्वर्ग माना जाता है. सूर्य की रोशनी से सराबोर, पंचौली चोटियों से घिरा मुनस्यारी लोगोंको अपनी प्राकृतिक सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां से आप कुछ ग्लेशियरों, खलिया टॉप, चिपलकोट बुग्याल, नंदादेवी मंदिर, आदि तक ट्रेक भी कर सकते हैं.
5. कौसानी
कौसानी उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 53 किमी दूर बागेश्वर ज़िले में स्थित है. विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट, त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नज़ारा देखने को मिलता है. यह पर्वतीय शहर चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर बसा है. यहां से सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों का अद्भुत नज़ारा भी देखने को मिलता है.
6. खिर्सू
पौड़ी-गढ़वाल में स्थित खिर्सू बहुत ही शांत जगह है. ये पौड़ी से केवल 19 KM दूर है. यहां सिर्फ़ पक्षियों की चेहचाहट ही शांति भंग करती है. आस-पास के ओक, देवदार और सेब के बगीचों में घूमना अलग ही आनंद देता है. यहां से कई चोटियों का साफ़ और सुंदर नज़ारा देखा जा सकता है.
7. लोहाघाट
लोहाघाट लोहवाती नदी के किनारे बसा है, जो चंपावत जिला मुख्यालय से लगभग 14 KM दूर है. मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण, चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा ये जगह पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण रहा है. गर्मियों के मौसम में लोहाघाट बुरांस के फूलों से भरा हुआ रहता है.
तो प्लान तैयार रखिये जनाब!