सालों पहले वो गाना आया था, ‘दो दीवाने शहर में, एक आशियाना ढूंढते हैं’….

ये गाना अब कुछ ऐसा हो गया है, ‘दो दीवाने शहर में, रहने का ठिकाना ढूंढते हैं.’

दोनों लाइन्स में फ़र्क इसलिए है, क्योंकि सालों पहले आप शहर में रह कर एक आशियाना बना सकते थे, लेकिन अब, शहर में एक कमरा-किचन भी मिल जाए, तो बहुत है.

शहरों में लगातार बढ़ती आबादी की वजह से रहने की ठीक-ठाक जगह के लिए भटक रहे दीवानों को अगर 30 से 50 हज़ार में अपना ख़ुद का घर मिल जाए तो? मैं ज़रा धोखा देने वाले Real Estate के इश्तेहारों की तरह बात कर रही हूं, लेकिन ऐसा मुमकिन है.

चलिए मिलते हैं बेंगलुरु के Cuckoo Hostel के फाउंडर रजत कुकरेजा से, जो अपने 100 फ़ीट के घर पर आराम फरमा रहे हैं. विदेशों में चल रहे Pop-Up Housing मूवमेंट की तरह ही, Cuckoo Hostel, ज़रा सी जगह और बार-बार इस्तेमाल होने वाले सामान से लोगों के लिए घर तैयार कर रहे हैं.

इस बात से इनकार नहीं कि उपभोगतावाद के शिकार हम सभी हैं. हमारे दिमाग़ में जिस बड़े घर की छवि बैठा दी गयी है, उस वजह से कई लोग छोटे घरों में Adjust नहीं कर पाते. बड़े घर की तलाश में हम ये भूल जाते हैं कि अपने ही देश या शहर में ऐसे कितने लोग हैं, जो रोज़ सड़क पर सोते हैं. इनके पास हमारी तरह किराये का घर भी नहीं है.

रजत कुकरेजा का Cuckoo Hostel इसी समस्या के लिए एक बेहतर और Sustainable Solution है.

ज़रूरत भर के हिसाब से ये घर आपकी हर ज़रूरत को पूरा करते हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाले Products हैं लोहे के एंगल, जो इन्हें स्ट्रक्चर देते हैं, लकड़ी का भूसा और कार्डबोर्ड. सीमेंट-ईंट से बनने वाले परंपरागत घरों की तरह इन घरों में इस्तेमाल होने वाले समान से न तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और ये बार-बार इस्तेमाल हो सकेंगे.

ये Adjustable हैं, Foldable हैं, यानि आप इन्हें अपने साथ कहीं भी ले का सकते हैं. साइज़ में छोटे होने की वजह से ये न तो ज़्यादा एनर्जी इस्तेमाल करते हैं, और बहुत हद तक नेचुरल लाइट पर निर्भर करते हैं. इन घरों में ख़ुद को ठंडा रखने की क्षमता है, जिससे आपको अलग से Cooling सिस्टम लगाने की ज़रूरत नहीं.

Cuckoo Hostel की तरह Rooftop Pop-Up घर भी काफ़ी लोकप्रिय हो सकते हैं. आपको एक मूविंग स्ट्रक्चर मिल जाएगा, जिसमें आप आसानी से अपनी ज़रूरत भर की चीज़ें रख सकते हैं. इनके लिए न तो फाउंडेशन डालने की ज़रूरत है, न ही सीमेंट-पत्थर की. ज़मीन से न जुड़ने के कारण आप इन्हें अपने साथ ले जा सकते हैं.

रजत ख़ुद ऐसे ही एक घर में रह रहे हैं और इनके हिसाब से, आप किसी भी स्ट्रक्चर को अपना घर, ऑफ़िस, कॉफ़ी शॉप बना सकते हैं.

इस Pop-Up घर की शुरुआत विदेशों में भी हो चुकी है और 2017 में ही, न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में 200 लोगों को घर देने के लिए ऐसे कई घर बनवाये गए थे. इन घरों की ख़ासियत ये है कि ये झटपट तैयार हो जाते हैं, एनर्जी की खपत कम करते हैं, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते. आपदा जैसे बाढ़ या भूकम्प के समय या मास इवेंट्स जैसे, कुम्भ मेलों के लिए ये घर बेहतरीन विकल्प हैं.

आने वाले सालों में जगह की कमी और बढ़ जाएगी, जिसे देखते हुए इससे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता. कुछ न होने से, कुछ बेहतर होना, ज़्यादा अच्छा है.