कहते हैं पढ़ते-लिखते कुछ लोग अपनी क़िस्मत लिख डालते हैं. ऐसे ही चंद लोगों में आगरा शहर के मनोज कुमार अग्रवाल भी हैं. मनोज की कहानी नई नहीं है, लेकिन प्रेरणादायक ज़रूर है. मनोज उस वक़्त 22 साल के थे जब 2016 में हर अख़बार और टीवी चैनल पर उनकी ख़बर चल रही थी.
क्यों हर कोई कर रहा था मनोज की बात?
मनोज नेएक इंटरव्यू के दौरान बताया कि, सीए बनने का क्रेडिट उनके पिता को जाता है. अगर वो उनका सपोर्ट नहीं करते, तो शायद वो कभी इस मुक़ाम तक नहीं पहुंच पाते. उनके पिता कभी स्कूल नहीं जा सके. परिवार का पेट भरने के लिये उन्होंने ससुराल के होटल में काम किया. पिता की मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया. इसलिये उन्होंने CA बन कर जीवन बेहतर करने का फ़ैसला लिया.
सीए (CA) बन कर परिवार को अच्छा जीवन देने वाले मनोज कड़ी मेहनत को सफ़लता की कुंजी मानते हैं. वो दिन में 6 से 7 घंटे पढ़ाई करते थे. इसके साथ ही चाय की दुकान पर भी 2 घंटे का समय भी देते थे. मनोज के पिता को इस बात की ख़ुशी है कि वो उनकी तरह चाय न बेचकर अच्छा काम कर रहे है.
मनोज की कहानी जानने के बाद शायद उन लोगों को हिम्मत मिले, जो सोचते हैं कि बड़े सपने सिर्फ़ अमीरों के पूरे होते हैं.