भारत के खाने की तारीफ़ तो विश्व भर में होती है. कभी हम अपने मसालों के लिए जाने जाते हैं, तो कभी विविधतापूर्ण और लज़ीज पकवानों की वजह से. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भारत में कुछ अजीबो-गरीब पकवान भी बनते हैं जो आपको हैरान करने के लिए काफ़ी हैं.

1. मेंढ़क की टांगें

शायद आपको जान कर अजीब लगे, लेकिन ये सच है जनाब. मेंढ़क की टांगों को सिक्कम और गोवा में खाया जाता है. गोवा में तो इसे “Jumping Chicken” भी कहा जाता है. सिक्कम में इसे पेट के लिए अच्छा माना जाता है. वहां की कुछ जनजातियां इस पकवान का स्वाद कई वर्षों से ले रही हैं.

2. लाल चींटी की चटनी

उत्तर भारत में तो चटनी बहुत ही शौक से खाई जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के कुछ इलाकों में लाल चींटियों की चटनी का अलग ही खुमार है. यहां की स्थानीय भाषा में “चपराह” कहा जाता है. कुछ अंडों को मिलाकर चींटियों की चटनी बनाई जाती है, जिसे यहां लोग बड़े चाव से खाते हैं. यहां की एक जनजाति धूर्वा के लोगों का मानना है कि ये चटनी एक रोमांचकारी खाना है जिसे हर कोई नहीं खा पाता.

3. भैंसों की पसलियां

आमतौर पर हरियाणा के मेवात में भैंसों का मीट मिलता है लेकिन पुणें में मिलने वाली भैंसों की पसलियों की तो बात ही जुदा है. इसको यहां मसालों का टच दिया जाता है. जिसकी बदौलत लोग दूर-दूर से इसका स्वाद चखने के लिए आते हैं.

4. मछली के अंडों का पकवान

पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में हिल्सा मछली के तो लोग दीवाने हैं ही. दरअसल ये एक विलुप्त होती मछली है. इसको पकड़ने के लिए भी दोनों देशों की सरकारों ने एक निर्धारित साइज तय किया हुआ है. इस मछली के अंडे को हल्का सा फ्राई कर स्नेक्स की तरह खाया जाता है जो यहां के काफ़ी प्रचलित पकवानों में से एक है.

5. घोंघे का मुरब्बा

आऊ… सुनने के बाद आपकी ज़ुबां से यही निकला होगा लेकिन नगालैंड की गलियों में घोंघे का मुरब्बा और भाप में पकाये गये भिड़ मिलते हैं. इस राज्य में 15 से ज़्यादा जनजातियां रहती हैं और उनका खाना कुछ इस तरह का ही होता है.

6. बकरे की आंते

बकरे का मीट तो आपने बहुत से रेस्तरां में खाया होगा लेकिन गढ़वाल में बकरे का मीट कुछ अलग ही अंदाज़ में बनाया जाता है. उसके लहु, आंते और लीवर को यहां पका कर खाया जाता है. इसको यहां के लोग “भूनी” कहते हैं.

7. भेड़ के बच्चे के पांव

लखनऊ और हैदराबाद में ऐसा खाना आपको मिल सकता है. दरअसल इसे “पाया” के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा गाय के, भैंसे के और बकरे के पांवों को पका कर भी खाया जाता है. इसे धीमी आंच पर काफ़ी समय तक पकाया जाता है जिसके बाद इसका स्वाद और लज़ीज हो जाता है.

8. सुअर का दिमाग

ये मेघालय में बनने वाली एक डिश है जिसे यहां के स्थानीय लोग “धो केलाह” कहते हैं. सुअर के दिमाग को धीमी आंच में पका कर प्याज के साथ खाया जाता है. यहां के जनजातिय लोग इसे चावल के साथ भी खाते हैं.

दोस्तों, खाना जैसा भी हो उसका अपमान नहीं करना चाहिए. कई बार हमें जो भोजन अजीब लगता है किसी दूसरे के लिए वो भूख मिटाने वाला भी साबित हो सकता है. इस आर्टिकल को शेयर कर अपने दोस्तों को भी बतायें कि भारत में लोग अलग तरह का खाना भी खाते हैं.