शहजहां और मुमताज के प्रेम की निशानी ताजमहल से हम सभी वाकिफ़ हैं. अगर कुछ नहीं पता है, तो वो है मुमताज का शाही हमाम (Royal Bath). वो ‘शाही हमाम’ जिसके तार मध्य प्रदेश के बुरहानुपर से जुड़े हुए हैं. कहते हैं आज भी रात के समय ‘शाही हमाम’ वाले क़िले से किसी महिला की चीखने की आवाज़ें सुनाई देती हैं. लोगों का मानना है कि आज भी क़िले में मुमताज की आत्मा भटकती है.
क्या है शाही हमाम की कहानी?
मुमताज के हमाम में किसी तरह कोई कमी न रहे, इसके लिए उसमें रंगीन कांच के टुकड़े लगाये गये. ठीक वैसे ही जैसे जयपुर के आमेर महल में लगे हुए हैं. हमाम की फ़र्श को बनाने के लिये संगमरमर का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा बीच में एक हौज भी था, जिसमें फ़व्वारा बनाया था. उस फ़व्वारे से पानी नहीं, बल्कि गुलाबजल निकलता था. शाही हमाम को लेकर ये भी कहा जाता है कि वहां एक मात्र दिया जलाने से वो जगमगा उठता था.
इसके बारे में कम लोग ही जानते हैं कि मरने के बाद मुमताज़ को पहले शाही क़िले में दफ़नाया गया था. ताजमहल बनने के बाद उनके मृत्य शरीर को वहां ले जाया गया था. कहा जाता है कि मुमताज को उनके शाही हमाम से काफ़ी प्रेम था. इसलिये आज भी उनकी आत्मा वहां से निकल नहीं पाई है. इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो वहां जाकर ही पता लगाया जा सकता है.