यह तो आपको पता ही होगा कि अंतरिक्ष में ग्रहों के अलावा क्षुद्रग्रह, उल्का व उल्कापिंड निरंतर भ्रमण करते रहते हैं. वहीं, आकाश से पृथ्वी पर बीच-बीच में उल्कापिंड गिरते रहते हैं, जिन्हें हम आम भाषा में टूटता तारा भी कहते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी गौर किया है कि धरती पर गिरने वाले उल्कापिंड किस काम आते हैं या इन्हें अगर बेचा जाए, तो कितना पैसा मिलेगा?    

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आपको जानकार हैरानी होगी कि अमेरिका का एक शख़्स है, जो उल्कापिंड डीलर के नाम से जाना जाता है. आइये, जानते हैं कि यह शख़्स कौन है और यह उल्कापिंड से किस प्रकार का व्यापार करता है.  

उल्कापिंड डीलर के नाम से मशहूर   

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अमेरिका के एरिजोना में रहने वाले माइक फ़ार्मर एक अनोखे इंसान हैं, जो आकाश से धरती पर गिरने वाले उल्कापिंड को इकट्ठा करने का काम करते हैं और उन्हें बेचकर पैसा कमाते हैं. जानकर हैरानी होगी कि वो उल्कापिंडों को बेचकर करोड़ों रुपए कमा चुके हैं और इसी वजह से वो चर्चा में रहते हैं.  

आख़िर किन्हें बेचते हैं उल्कापिंड? 

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उल्कापिंड कोई घरेलू इस्तेमाल की चीज़ तो है नहीं, जो माइक इसे बाज़ार में जाकर बेचें. माइक फ़ार्मर जमा किए गए उल्कापिंडों को खगोलविद यानी एस्ट्रोनॉमर्स से लेकर उन अमीर आदमियों को बेचते हैं, जिन्हें ऐसी अद्भुत और दुर्लभ चीज़े रखने का शौक़ है. यही वजह है कि दुर्लभ चीज़ों को रखने के शौक़ीन इनके मुंह मांगे दाम भी दे देते हैं.    

आसान काम नहीं है उल्कापिंड को खोजना  

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माइक का कहना है कि धरती पर गिरने वाले उल्कापिंडों को खोजना कोई बच्चों का काम नहीं है. उन्हें कई बार जान भी जोख़िम में डालनी पड़ती है. साथ ही उन्हें घने जंगलों से लेकर सुनसान इलाक़ों में भी जाना पड़ता है.   

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इतना ही नहीं, उल्कापिडों के गिरने का अंदाज़ा लगाने के लिए भी माइक को कई गुणा-भाग भी करना पड़ता है. माइक का कहना है कि उन्हें रोमांच पसंद है, इसलिए उन्हें इस काम में मज़ा आता है.   

सिर्फ बेचते ही नहीं, ख़रीदते भी हैं उल्कापिंड   

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माइक फ़ार्मर, उल्कापिंड को सिर्फ बेचने का काम नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें ख़रीदकर सही दाम पर बेचते भी हैं. उनके अनुसार, स्टूडेंट लोन के पैसों से उन्होंने 1995 में उल्कापिंड के छोटे टुकड़े ख़रीदे थे.   

क़रीब 7 करोड़ 32 लाख का मून रॉक   

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माइक कहते हैं कि एक बार उन्होंने मोरक्को का दौरा किया था और वहां उन्होंने मून रॉक का एक बड़ा टुकड़ा ख़रीद लिया था. उन्हें पता भी नहीं था कि इस पत्थर की कितनी क़ीमत हो सकती है. बाद में उन्होंने मून रॉक 7 करोड़ 32 लाख में बेचा था. इन पैसों से उन्होंने अपना कर्ज़ चुकाया और एक आलीशान घर भी ख़रीदा था. तब से निरंतर माइन इस बिज़नेस में हैं और पूरे जोश के साथ उल्कापिंड की खोज में लगे रहते हैं.