फ़िल्म हो या रियल लाइफ़, नदी के बीचों-बीच बने पुलों को सबने देखा है, और शायद सबके मन में इससे जुड़ा एक बड़ा सवाल ज़रूर आया होगा. सवाल ये है कि आखिर बहती नदी के बीच पुल बनते कैसे हैं? ज़ाहिर सी बात है कि नदी के बीचों-बीच पुल बनाना आसान काम नहीं है. वो कौन सी टेक्नीक है, जिससे नदी में पुल तैयार किये जाते हैं. 

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बहती नदी में किस तरह बनाये जाते हैं पुल? 

सबसे पहले आप ये जानिए कि नदी पर कई तरह के पुल बनाये जाते हैं. जैसे कि Beam और Suspension ब्रिज टाइप. ब्रिज तैयार करने से पहले नदी के बारे में काफ़ी रिचर्स किया जाता है. जैसे नदी का पानी कितना गहरा है. ब्रिज कितना भार सहन कर सकता है. नदी के नीचे मौजूद मिट्टी किस प्रकार की है. वगैरह… वगैरह.

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रिपोर्ट के अनुसार, पुल का प्लान तैयार होने के बाद नदी में उसकी नींव रखते हैं, जिसे Cofferdam कहा जाता है. Cofferdam कुछ-कुछ ड्रम जैसे होते हैं, जिसे क्रेन के ज़रिये नदी में लगाया जाते हैं. ये काफ़ी मजबूत होते हैं, जिनके आस-पास से पानी बहता है, पर इनके अंदर नहीं जाता. हांलाकि, अगर नदी का पानी काफ़ी गहरा है, तो फिर पुल बनाने के लिये कौफ़र डैम का यूज़ नहीं होगा. ज़्यादा गहरा पानी होने पर इंजीनियर रिसर्च करके उस पर काम करते हैं.  

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नदी में पुल बनाने के लिये ब्लॉक्स बनाये जाते हैं, जो कि दूसरी साइट्स पर तैयार होते हैं. फिर इन ब्लॉक्स को नदी में बनाये गये पिलर के बीच में लगा दिया जाता है. कई पुल ऐसे भी होते हैं, जो बिना पिलर के बनते हैं, लेकिन उनके निर्माण की प्रोसेस दूसरी होती है. 

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कुल मिल कर पुल बनाने के लिये नदी पर रिसर्च करना बेहद ज़रूरी होता है. कई बार छोटी सी लापरवाही की वजह से नदी पर बने पुल टूट जाते हैं. नदी में पुल कैसे बनता है. इसकी पूरी जानकारी के लिये आप वीडियो भी देख सकते हैं.