इतिहास गवाह है कि इस धरती पर ऐसे इंसानों ने भी जन्म लिया, जिन्होंने अकल्पनीय काम करके दिखाए. जिनके बुलंद इरादों के सामने समंदर व ऊंचे पहाड़ों ने भी इन्हें रास्ता दिया. आपने ‘मांझी द माउंटेन मैन’ के बारे में तो सुना होगा, जिन्होंने अकेले पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था. आइये, आपको एक ऐसे ही बुलंद इरादे वाले इंसान की कहानी बताते हैं जिन्होंने सिर्फ़ साइकिल के बल पर 40 सालों तक विश्व के विभिन्न देशों का सफ़र किया. आइये, सुनाते हैं इनकी दिलचस्प कहानी.  

एक महान ट्रैवलर 

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जिसके बारे में हम बता रहे हैं उस शख़्स का नाम था इयान हाइबेल. इनका जन्म 6 जनवरी 1934 को इंग्लैंड के एप्सोम नामक शहर में हुआ था. इयान को एक महान साइकिल ट्रैवलर या टूरिस्ट कहा जाता है. कहा जाता है कि अपने मृत्यु तक इन्होंने साइकिलिंग के कई रिकार्ड अपने नाम दर्ज किए, जिनमें South of South America to the north of North America और Cape Horn to Alaska शामिल हैं.   

कैसे शुरू हुआ ये सब? 

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इयान हाइबेल Paignton (इंग्लैंड) शहर के किसी कम्युनिकेशन फ़र्म में काम किया करते थे. जब उन्होंने साइकिल ट्रिप शुरू कर दी थी, तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला ले लिया और फिर कभी काम पर नहीं लौटे.  

किया जानवरों और डाकुओं का सामना 

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एक दूसरी रिपोर्ट बताती है कि इयान हाइबेल का साइकिल का सफ़र उतना आसान नहीं था. उन्हें अपने सफ़र के दौरान कई बड़ी और ख़तरनाक मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपनी जान जंगली हाथियों और यहां तक की शरे से भी बचाई. वहीं, जंगल की ख़तरनाक चीटियों ने बुरी तरह काट भी लिया था. इसके अलावा डाकुओं ने उनपर गोली भी चलाई थी. 

सबसे बड़ी मुश्किल

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इयान के अनुसार, उनके सफ़र में सबसे बड़ी चुनौती इंसान रहे. सफ़र के दौरान उत्तरी केन्या में रहने वाली तुकराना जनजाति के लोगों ने उनका पीछा किया और ब्रॉज़िल में उनपर कुछ लोगों द्वारा पत्थर फ़ेंके गए. इसके अलावा, चीन में एक गाड़ी चालक ने उनके हाथ को कुचल दिया था. 

इयान का निधन  

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इयान का निधन 74 साल की उम्र में 2008 को ग्रीस में हुआ. वो Athens – Salonika रोड ट्रिप पर थे. ट्रिप के दौरान उन्हें किसी गाड़ी ने धक्का मा दिया था, जिसके बात उनकी मृत्यु हो गई थी. माना जाता है कि उन्होंने अपनी मृत्यु तक 250,000 मील का सफ़र साइकिल पर तय किया. कहते हैं कि वो साइकिल पर प्रतिवर्ष लगभग 6 हज़ार मील का सफ़र तय करते थे.