यह पृथ्वी ख़ूबसूरत चीज़ों के साथ-साथ कई अद्भुत, रहस्यमयी और अकल्पनीय चीज़ों का भंडार भी है. यूं ही इसे एक ख़ास ग्रह नहीं कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस धरती पर एक ऐसा विशाल गड्ढा मौजूद है, जिसमें से निरंतर आग की लपटें निकल रही हैं और यह आग अब तक शांत नहीं हुई है. जानकर आश्चर्य होगा कि इस आग के गड्ढे को ‘नरक का द्वार’ कहा गया है. क्या है यह पूरा किस्सा, जानिए इस ख़ास लेख में.
कहां है यह आग की लपटों वाला गड्ढा?
यह अद्भुत गड्ढा मौजूद है तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में. वहीं, यह देश की राजधानी ‘अश्गाबात’ से लगभग 260 किमी (उत्तर में) दूर स्थित है.
क्यों कहा जाता है इसे नरक का द्वार?
माना जाता है कि लगभग 50 सालों से निरंतर इस गड्ढे में आग जल रही हैं और यह अब तक शांत नहीं हुई है. दहकते अंगारों की वजह से किसी को इसके नज़दीक जाने की इजाज़त नहीं है. यह नज़ारा कुछ नरक का दृश्य प्रकट करता है. यही वजह है कि स्थानीय लोग इसे ‘नरक का द्वार’ कहते हैं.
कितना बड़ा है यह गड्ढा?
माना जाता है आग की लपटों वाले इस गड्ढे की चौड़ाई 60 मीटर है और इसकी गहराई 20 मीटर.
कब की गई थी इसकी खोज?
माना जाता है कि इस नरक के द्वार की खोज 1971 में कुछ सोवियत इंजीनियर्स द्वारा की गई थी. पहले तो लगा कि यह कोई ऑयल फील्ड साइट है, लेकिन ठीक तरह से सर्वे करने से पता चला कि यह एक प्राकृतिक गैस का क्षेत्र है.
गैस को जलाने की कोशिश
सोवियत इंजीनियर्स को लगा कि इसमें से कहीं कोई ज़हरीली गैस न निकल रही हो, जो आसपास के शहरों की तबाही का कारण बन जाए. यही सोच कर इस गैस को पूरी तरह जलाने का सोचा गया. यह काम कई हफ्तों तक किया गया, लेकिन गैस का जलना निरंतर बना रहा और 50 सालों से यह गैस निरंतर जल रही है.
इसके प्रारंभिक इतिहास का कोई पुख्ता सबूत नहीं
स्थानीय भू वैज्ञानिकों का मानना है कि गैस निकलने की यह घटना 1960 के दशक की हो सकती है और 1980 के दशक तक यहां आग नहीं लगाई गई थी. हालांकि, इसके प्रारंभिक इतिहास के बारे में कोई पुख्ता सबूत उपलब्ध नहीं है.
नेचुरल गैस रिजर्व
2010 में देश के राष्ट्रपति ने इस स्थान का दौरा किया और इस गड्ढे को पूरी तरह से बंद करने की बात कही. वहीं, 2013 में उन्होंने इसे नेचुरल गैस रिजर्व घोषित कर दिया.