हेडलाइन देखकर आर्टिकल खोलने वालों का तहे दिल से धन्यवाद, अब खोल ही लिया है तो अंत तक नज़रें फेर लो… उसके Message का इंतज़ार थोड़ी देर बाद कर लेना.
हां तो कुछ नहीं मिल रहा था. आदतन फ़ोन उठाया ही था कि मेरे बहुत ही अज़ीज़ दोस्त का टेक्स्ट आया, ‘BC कुकवा आज फिर करेला बनाकर गया है, आज बताएंगे उसको!’ मैंने रिप्लाई कर दिया ‘अरे भैया, गरियाओ मत, बिरयानी मंगा लो, वैसे भी नवरात्रि में तड़पोगे चिकन को.’
फ़ोन साइड रखा और स्मृति समुद्र में गोते लगाने लगे. मम्मी करेला बहुत सही बनाती थीं, भक्क… मम्मी सबकुछ सही बनाती थी. आंटी सिर्फ़ तेल भर देती हैं करेले में.
दुनियावाले शायद एकबार को टिंडे खा भी लें पर करेला उनको फूटी आंख नहीं सुहाता. खाते भी हैं तो कई टोटके अपनाने के बाद, जैसे नमक के पानी में रखना आदि!
करेले को उबालकर उसका पानी किसी भी कोल्ड ड्रिंक से ज़्यादा पौष्टिक है और ये हम रामदेव का मार्केटिंग मैनेजर होने के नाते नहीं कह रहे हैं. उबले हुए करेले में नमक, सरसों का तेल हरी मिर्च डालकर उसका चोखा और चावल मिल जाए तो उसके बाद हम चैन से मर जाएं!
जब कोई करेले में आलू मिलाता है न तब वो होता है नाक़ाबिल-ए-बर्दाशत
हम कतई अपनी पसंद आप पर नहीं थोप रहे हैं हम तो बस इत्ती सी बात कह रहे हैं कि हमारे अज़ीज़ करेले को ट्रोल करना छोड़ दो. वैसे भी अगर डॉक्टर ने कागज़ पर लिख दिया तब तो खाना ही पड़ेगा. लिवर साफ़ करना हो या पिंपल को दफ़न करना हो, महंगे-महंगे क्रीम और दवाईयों से बेटर ऑपशन है करेला.
मम्मी जी का शुक्रिया जो करेले से भी नफ़रत नहीं होने दी!