दिल्ली में वैसे तो घूमने के लिए बहुत सी फ़ेमस जगहें हैं, जहां दिल्लीवासी क्या बाहर से आने वाले लोग भी कई बार घूम चुके होंगे. मगर यहां एक जगह ऐसी भी है जो ज़्यादा प्रचलित तो नहीं है, लेकिन इसकी सुंदरता मन लुभावनी है. वो है दिल्ली के कुशपति राम में लक्ष्मी नारायण मंदिर.
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित ये मंदिर दिल्ली के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है. भले ही ये बहुत छोटा है, लेकिन धनुषाकार प्रवेश द्वार और मंदिर में जाने वाली लंबी सुरंग जैसा गलियारा इसकी ख़ूबसूरती में चार चांद लगाता है. आंगन में दोनों तरफ़ एक धनुषाकार बरामदा है. ऊपरी मंज़िल पर रेलिंग पूरी बालकनी को कवर करते हुए लगाई गई है. इस मंदिर की बनावट पुराने घरों और हवेलियों से मिलती-जुलती है, जो आज के आधुनिक शैली में बने अपार्टमेंट के पीछे कहीं ग़ायब हो रही है.
Hindustan Times के अनुसार, इस मंदिर के पुजारी आनंद शुक्ला बताते हैं,
ये मंदिर 100 साल पुराना है. इसमें विष्णु और लक्ष्मी की मूर्तियां हैं, जो एक संगमरमर की जाली के अंदर रखी गई हैं. मैं लखनऊ का रहने वाला हूं और एक साल से इसका पुजारी हूं.
मंदिर की सबसे विचित्र बात ये है कि ये भगवान का घर है, लेकिन जिसकी मूर्ति शायद ही कभी मंदिरों में रखी गई हो. चार सिर वाले ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा जी की मूर्ति, विष्णु जी की मूर्ति के बगल में रखी है. दूसरी तरफ़ वराह का मंदिर है, जो विष्णु अवतारों में से एक है.
इस मंदिर में छोटी-छोटी पीतल की घंटियां लगी है, लेकिन कोरोनावायरस के चलते उन्हें लाल कपड़े से ढका गया है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु उसे छू न पाएं.
पुजारी बताते हैं,
हैंड सैनिटाइज़र की एक बोतल लकड़ी के स्टूल पर भी रखी जाती है. मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग को फ़ॉलो करते हुए दूर-दूर नीले रंग के गोले बना दिए गए हैं.
आपको बता दें, मंदिर रोज़ाना सुबह 7.30 बजे आरती के साथ खुलता है और शाम 7 बजे शाम की आरती के साथ बंद हो जाता है. मंदिर में घुसते ही लाल रंग के लेटर बॉक्स को देखना न भूलें.