इंदौर में मराठा, मुग़ल और अंग्रेज़ों का प्रभाव आज भी व्याप्त है. मध्य प्रदेश स्थित अहिल्यानगरी इंदौर का इतिहास बेहद दिलचस्प है. लालबाग़ पैलेस, राजवाड़ा, कांच मंदिर जैसे कई इमारतों में क़ैद हैं कई कहानियां, बस पढ़ने या सुनने वाला चाहिए. इंदौर के आस-पास ही इतिहास के कई धरोहर है जिनके बारे में हमें नहीं पता. स्थानीय निवासियों को तो पता ही होगा, लेकिन देश के बाक़ी नागरिकों से यहां की ख़ासियत अभी भी छिपी है.
इंदौर से सिर्फ़ 64 किलोमीटर की दूरी पर है ज़िला ‘धार’, जो मध्य प्रदेश के मॉस्ट विज़िटेड स्पॉट्स में भी शामिल है. धार में इतिहास के इतने खज़ाने हैं कि हम देखते-देखते, एक्सप्लोर करते-करते थक जाएंगे. इंदौरी वीकेंड ट्रिप के लिए यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.

परमार राजा भुज ने 11वीं शताब्दी में धार की स्थापना की. धार ने परमार राजाओं, सुल्तानों, मराठाओं सबका शौर्य देखा. ज़ाहिर है इस शहर में हर वंश के सुबूत मिल जाएंगे. धार में कई संस्कृतियों का मिश्रण भी दिखता है.
धार में कहां-कहां घूमें?
1. जहाज़ महल

Trip Advisor के मुताबिक़, मांडू स्थित इस महल के स्थापत्यकला का श्रेय मुस्लिम शासक, होशांग शाह, घियासुद्दीन खिलजी और बाज़ बहादुर को जाता है. ये सुल्तान घियासुद्दीन खिलजी का हरम था. ये महल दो आर्टिफ़िशियल झीलों पर बना हुआ है और देखने में ऐसा लगता है मानो तैर रहा हो.
2. धार क़िला

लाल बलुआ पत्थर से बिना से क़िले पर वक़्त की कई मार पड़ी है. 14वीं शताब्दी में इस क़िले का निर्माण सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक ने करवाया था. 1857 क्रांति के समय इस क़िले पर क्रांतिकारियों ने अधिकार जमा लिया था, लेकिन क्रांति विफल होने के बाद दोबारा अंग्रेज़ों ने इस पर कब्ज़ा किया.
3. बाघ गुफाएं

ये गुफाएं प्राकृतिक नहीं हैं, बल्कि भारत के शिल्पकारों के कौशल का बहुत अच्छा उदाहरण हैं. इन गुफाओं का संबंध बौद्ध मत से है. इन गुफाओं का निर्माण सतवाहन वंश के राजाओं ने 5वीं और 7वीं शताब्दी के बीच करवाया था.
4. भोजशाला

परमार वंश के राजा भोज ने इसका निर्माण करवाया था. राजा भोज ने ये मंदिर बनवाया था, लेकिन 12वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे मस्जिद में बदल दिया. यहां संस्कृत अभिलेखों से ये पता चलता है कि यहां मंदिर हुआ करता था. फ़िलहाल ये एक Archaeological Site है, जो Archaelogical Survey of India के संरक्षण में है. भोजशाला के आस-पास 4 सूफ़ी मक़बरे भी हैं. इस जगह पर मुस्लिम हर शुक्रवार नमाज़ अदा करते हैं और हिन्दू यहां हर मंगलवार प्रार्थना करते हैं.
5. अंधा-अंधी का महल

Mandu Tourism के अनुसार, धार स्थित ‘अंधा-अंधी का महल’ हज़रत शीरेन मंजुम बाबा भारंग का मकबरा है. मांडू पर हुए आक्रमण में वे ज़ख़्मी हो गये और वो अंधे हो गये.
6. जामी मस्जिद

इस मस्जिद का निर्माण होशंगशाह के दौर में शुरू हुआ और महमूद खिलजी ने इसका निर्माण 1454 में पूरा किया. 4 गुंबदों वाले इस मस्जिद के अंदर 160 छोटे गुंबद हैं. 1838 में आये भूकंप में कुछ गुंबद नष्ट हो गये और अब 90 गुंबद बचे हैं.
7. ईको पॉइंट

यहां जाकर आप अपना नाम चिल्ला सकते हैं, फ़िल्मों टाइप. यहां पहाड़ों से आवाज़ टकराकर वापस आती है. कहते हैं बहुत साल पहले मांडू का अपना कम्युनिकेशन सिस्टम था. यहां से आवाज़ 35 किलोमीटर दूर तक जा सकती है!
8. बाज़ बहादुर महल

बाज़ बहादुर मालवा क्षेत्र का सुल्तान था. ये शासक एक कुशल योद्धा होने के साथ ही संगीत का शौक़ीन था. कहते हैं कि जब बाज़ बहादुर राग दीपक गाना शुरू करता तो दीपक जल उठते! रानी दुर्गावती से युद्ध हारने के बाद बाज़ बहादुर ने संगीत को ही अपना जीवन मान लिया. रानी रूपमती और बाज़ बहादुर के संगीत और प्रेम का साक्षी है ये महल. यहां जाकर ध्यान से सुनने पर शायद इतिहास के कुछ गूंजते तान मिल जाएं.
इंदौर के धार ज़िले स्थित मांडू में ऐसा बहुत कुछ है जिसका दीदार एक बार करने के बाद आप उस सुंदर याद को ज़िन्दगी भर नहीं भूलेंगे.