कुछ लोगों को किचन को नए-नए बर्तनों से सजाना बहुत अच्छा लगता है. इसके चलते वो बर्तनों की शॉपिंग भी बहुत सोच समझकर करते हैं और सबसे ज़्यादा नॉन स्टिकी बर्तनों को ही खरीदते हैं. क्योंकि वो देखने में सुंदर लगते हैं और उसमें खाना भी नहीं चिपकता है. मगर नॉन स्टिक बर्तनों के बहुत शारीरिक नुकसान भी होते हैं.
ये हैं वो बीमारियां:
1. हड्डियों की बीमारी
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना पकाने से शरीर में आयरन की कमी होती है, जिससे हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं.
2. कॉग्नीटिव डिसऑर्डर
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से व्यक्ति के शरीर में ऐसे तत्व पहुंच जाते हैं, जिससे कई प्रकार के कॉग्नीटिव डिस्ऑर्डर होने का ख़तरा हो जाता है.
3. थायरॉइड
नॉन स्टिक बर्तनों के इस्तेमाल से बचें. क्योंकि इसमें PFO (पेरु्लूरोटोननिक एसिड), एक प्रकार का घटक होता है, जिसके शरीर में पहुंचने पर थायरॉइड होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
4. हार्ट अटैक
नॉन स्टिक में खाना बनाने से शरीर में हाई ट्राईग्लेसिरॉइड बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है.
5. कैंसर
नॉन स्टिक बर्तन में अधिक पका हुआ खाना ऐसे तत्व रिलीज़ करता है, जिसकी मात्रा शरीर में अधिक होने पर कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है.
6. प्रजनन समस्या
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से PFO बढ़ जाता है, जिससे प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है या बच्चे में स्वास्थ्य सम्बंध कई विकार हो सकते हैं.
7. इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है
नॉन स्टिक बर्तन में बना खाना खाने से इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है.
8. कोलेस्ट्रॉल का लेवल
PFO की मात्रा बढ़ने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ जाता है. इसलिए बेहतर होगा कि आप लोहे की कड़ाई, तवे और स्टील के बर्तनों का ज़्यादा इस्तेमाल करें.
9. किडनी पर बुरा प्रभाव
नॉन स्टिक बर्तन के इस्तेमाल से किडनी के ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
10. लिवर कमज़ोर होता है
नॉन स्टिक बर्तन में खाना बनाने से टॉक्सि फ़्यूम्स निकलती है, जिससे लिवर को नुकसान होता है और पेट संबंधी बीमारियां होना शुरू हो जाती है.
नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल कम ही करें. Lifestyle से जुड़े और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें.