West Bengal Railway Station Without Name. भारतीय रेलवे (Indian Railways) दुनिया के सबसे विशाल रेल नेटवर्क्स में से एक है. Size के आधार पर ये दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क है और मार्च 2020 के मुताबिक़ ये 67,956 km क्षेत्र में फैला है. 16 April 1853, को अंग्रेज़ों ने भारत में रेलवे की शुरुआत की और आज भारतीय रेलवे के 7000 से ज़्यादा स्टेशन्स से ट्रेनें गुज़रती हैं. भारत में कई अजब रेलवे स्टेशन्स भी हैं. एक रेलवे स्टेशन का नाम Wellington है तो एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो दो राज्यों में पड़ता है. 

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कई अजब-ग़ज़ब रेलवे स्टेशन्स की शृंखला में एक और रेलवे स्टेशन पर आज बात करते हैं. क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जिसका कोई नाम नहीं है. India Today के एक लेख के अनुसार, पश्चिम बंगाल (West Bengal) के बर्धमान (Burdwan) ज़िले के रैना गांव (Raina Village) में है एक ऐसा गांव जिसका कोई नाम नहीं है. 2008 से भारतीय रेल का ये स्टेशन ऑपरेशनल है लेकिन इसका कोई नाम नहीं है.  

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क्या है वजह? 

स्टेशन का नाम न रखे जाने की वजह से अधिकार-क्षेत्र (Jurisdiction) को लेकर रैना और भूतपूर्व ‘रैनानगर स्टेशन’ के बीच मतांतर. रैनानगर और रैना गांव के लोगों के बीच झगड़े के प्रतीक है स्टेशन पर मौजूद नामहीन पीले नेमपोस्ट. स्टेशन को एक पड़ोस के गांव में शिफ़्ट कर दिया गया और गांववाले इस स्टेशन के नामकरण के लिये राज़ी नहीं थे.  

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Times of India के एक लेख के अनुसार, पहले इस क्षेत्र जिसे बांकुरा-दामोदर रेलवे रूट (Bankura-Damodar Railway Route) कहा जाता है, Narrow Gauge में गुज़रता था. जब इस क्षेत्र के Narrow Gauge को Broad Gauge में बदला गया तो रैना गांव में एक नया स्टेशन भी बनाया गया.  

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गांववालों की तक़रार की वजह से स्टेशन का कोई नाम अब तक नहीं रखा गया. इस बेनाम स्टेशन पर 9 ट्रेनें रुकती हैं. इस स्टेशन पर बिकने वाली टिकट पर रैनानगर ही लिखा होता है.

India Today के लेख की मानें तो गांववालों ने लोगों ने स्टेशन के नामकरण के लिये District Court में भी अपील की थी लेकिन अब तक इस समस्या का निवारण नहीं हो पाया है.  
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