बिरयानी इज़ लव ये बात आपने कई बिरयानी लवर्स के मुंह से सुनी होगी. मगर बिरयानी शब्द का नाम सुनते ही एक बात जो ज़ेहन में आती है वो है दम. दम बिरयानी चाहे वो वेज हो या फिर नॉन वेज इसका स्वाद ऐसा होता है कि खाने वाला इसे भूल नहीं सकता. मगर दम बिरयानी इतनी ख़ास क्यों है और इसे पहली बार कब बनाया गया था, इसका जवाब बहुत कम लोगों को ही पता है.
दम बिरयानी से जुड़े इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपके लिए लेकर आए हैं. चलिए देर न करते हुए दम बिरयानी से जुड़े सभी सवालों के जवाब आज जान ही लेते हैं.

दम बिरयानी की खोज का श्रेय जाता है मुग़लों को. दरअसल, मुग़ल सम्राटों की शाही रसोई में दम पुख्त नाम की तक़नीक के ज़रिये खाना बनाया जाता था. इस विधि में हांडी या फिर मिट्टी के बर्तन में खाने को कई मसालों के साथ रख दिया जाता था और कई घंटों के लिए इसे धीमी आंच पर पकाया जाता था.

स्लो कुकिंग के इस प्रोसेस में सभी मसालों और जड़ी बूटियों की ख़ूशबू उसके अंदर बस जाती थी. फिर उस खाने का टेस्ट ही बदल जाता था. इस तक़नीक से वो लोग कोरमा, निहारी, हलीम, जैसी डिश बनाया करते थे. ये बात हुई टेक्नीक की. अब बाताते हैं कि कैसे दम बिरयानी की खोज हुई थी.

बात उन दिनों की है, जब अवध में नवाब असफ़-उद-दौला का राज हुआ करता था. 1784 में वहां पर ऐसा अकाल पड़ा कि लोग भुखमरी से मरने लगे. इससे लड़ने के लिए उन्होंने लोगों को रोज़गार और खाने दोनों का प्रबंध करने के बारे में सोचा.

इसके बाद उन्होंने इमामबाड़ा बनाने का आदेश दिया. इसकी मदद से लोगों को रोज़गार भी मिलता और दो वक़्त की रोटी भी. लोगों के लिए ये खाना दम पुख्त की विधि से ही बनाया जाता था. एक दिन इसी तरह चावल को कई तरह के मसालों और सब्जियों के साथ पकाया जा रहा था. इसकी ख़ूशबू नवाब को पसंद आई और उन्होंने इसे शाही रसोई में बनाने का आदेश दिया.

ये बिरयानी उन्हें बहुत पसंद आई. चूकीं इसे दम पुख्त विधि से बनाया गया था. इसलिए इसका नाम दम बिरयानी रख दिया गया. उसके बाद से इसे शाही रसोई में हर ख़ास मौके पर पकाया जाने लगा. वहां से ये हैदराबाद, कश्मीर और भोपाल की शाही रसोई तक भी पहुंच गई. इस तरह दम बिरयानी का स्वाद लोगों की ज़ुबान पर चढ़ने लगा. अब तो इसे चिकन और मटन डालकर भी बनाया जाने लगा है.

कोलकाता में बनने वाली आलू दम बिरयानी तो वर्ल्ड फ़ेमस है. इसे खाकर उंगलियां चाटते रह जाते हैं लोग. दम बिरयानी अब हमारे देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बड़े चाव से खाई जाती है. अगली बार दम बिरयानी खाने का मन करे, तो उससे पहले इसे पहली बार बनाने वाले को धन्यवाद कहना न भूलना.
हैं न दम बिरयानी की खोज से जुड़ा ये किस्सा दिलचस्प?
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