गर्मियां आने वाली हैं, धूप के तेज़ थपेड़े और बहते हुए पसीने से होने वाली जंग शुरु होने वाली है. इन सब के बीच हम 24 घंटे में ठंडक के कुछ पल खोजने की जद्दोजहद में लग जाएंगे. घर में घुसते ही पंखे के बटन को दबाना AC के रिमोट को खोजना और कूलर में पानी भरना जैसे लाइफ़ का हिस्सा बन जाएगा. लेकिन कभी बिस्तर पर लेटे हुए चलते पंखे को देख कर आपने सोचा है कि आख़िर हवा देने वाला ये यंत्र कैसे हमारे घरों में इतना ज़रूरी हो गया. आख़िर कब इसका आविष्कार हुआ या फिर इसका सफ़र कैसा था और कैसे बिना बिजली से चलने वाले से ले कर आज के पंखों तक का सफ़र तय हुआ. चलिए आपको इस हवादार सफ़र पर ले कर चलते हैं और गर्मियों से पहले एक छोटा सा ठंडा सफ़र करवाते हैं.
4000 ईसा पूर्व
सबसे पहले पंखा असल में बड़े पेड़ के पत्ते होते थे, जिन्हे राजाओं के सेवक उन्हें हवा करने के लिए इस्तेमाल करते थे. इसका पहला उदाहरण मिस्त्र में देखने को मिलता है.
180 ईस्वी
वैसे तो लोग मानते हैं कि इंसान द्वारा ख़ुद से चलाए जाने वाले पंखे का आविष्कार चीन में हुआ था. जिसके बाद हमारे देश में भी हाथ से चलने वाले पंखे बने और अगर आप अपने दादा नाना से बात करें तो पता चलेगा कि कैसे वो हाथ के पंखों को ख़ुद से घुमा कर चलाया करते थे.
साल 1882
शूयलर स्काट्स व्हीलर ने थॉमस एडिसन और निकोला टेस्ला द्वारा बनाई गई बिजली को इंसान के बिना पंखे को मोड़ने के लिए इस्तेमाल किया. पहले बिजली के पंखे सिर्फ़ दो ब्लेड होते थे, जिसमें कैसी भी जाली नहीं लगी हुई थी.
साल 1889
इस साल पहली बार सीलिंग फ़ैन अस्तित्व में आया था. जिसे पेटेंट करवाया था फ़िलिप एच. डाइहली ने.
साल 1902
इस साल पंखे बनाने वाली पहली कंपनी बाज़ार में आई और जिसने घर में इस्तेमाल होने वाले पंखों को बनाने की तैयारी की. इसी साल AC की भी खोज हुई थी.
साल 1910
पंखे बनाने वाली कंपनी के लॉन्च के क़रीब 8 साल बाद घरों में बिकने वाले पंखे बाज़ार में आए और घरों में पंखे लगने की शुरूआत हुई.
साल 1932
Emerson Electric Co. नामक एक कंपनी ने इस साल पहले फ़्लोर फ़ैन को मार्केट में उतारा.
साल 1960
AC ने इस साल अपना मार्केट बनाना शुरु कर दिया था. ठंडक बेहतर करने के कारण पंखों की लोकप्रियता कम होती जा रही थी. इस सबके बीच पंखों के डिज़ाइन में बदलाव आ रहे थे और उन्हें और बेहतर बनाने के ऊपर काम किया जा रहा था.
साल 1970
AC ने लोगों को मज़े तो दिलवाए लेकिन इस बिजली के बढ़ते बिल ने लोगों के लिए मुश्किल शुरू कर दी और मार्केट में पंखों का बिज़नेस फिर से बढ़ गया. लोगों को पंखे ज़्यादा बेहतर दिखने लगे और बेहतर डिज़ाइन ने लोगों को अपनी तरफ़ खींचा भी.
बीते सालों में पंखों के डिज़ाइन में कई तरह के बदलाव आए, लेकिन उसका बेसिक ढांचा वही रहा, बढ़ती गर्मी के कारण भी पंखों को क्रेज़ कम हुआ है, लेकिन आज भी हर घर में आपको ख़ूबसूरती के लिए पंखे ज़रूर लगे दिख जाएंगे.