लड़कियां जब पैंट-शर्ट पहन लेती हैं, तो उन्हें टॉम बॉय बुलाते हैं. और लड़के अगर गुलाबी रंग का कुछ पहन लें, तो लड़की कहलाने लगते हैं. ऐसा होता है न? होता ही है, क्योंकि ज़माने में एक से बढ़कर एक होशियार मौजूद हैं. मगर बहुत से चमन होशियारों को इतिहास के कुछ मज़ेदार तथ्य नहीं पता होते. मसलन, कभी ऊंचे हील वाले जूते आदमियों का फ़ैशन था और कभी पैंट-शर्ट सिर्फ़ आदमी नहीं, औरतें भी पहना करती थीं.

जी हां, आज हम आपको ऐसी चीज़ों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आज हम भले ही एक जेंडर से रिलेट करते हैं, मगर इतिहास में मामला एकदम उलटा-पुलटा था.

1. 19वीं सदी तक आदमी पहनते थे स्कर्ट.

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पुनर्जागरण युग तक आदमी और औरत दोनों ही लंबे और ढीले-ढाले कपड़े पहना करते थे. 14वीं और 15वीं शताब्दी में पुरुष स्कर्ट पहनते थे. वो स्टॉकिंग्स या टाइट-फिटिंग पैंट के साथ इन्हें पहनते थे. पश्चिमी यूरोप में छोटी स्कर्ट विशेष रूप से राजाओं और धनी और शक्तिशाली पुरुष पहनना पसंद करते थे. ये 19वीं सदी तक जारी रहा था.

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2. औरतों का फ़ैशन मानी जाने वाली ‘हील्स’ कभी पुरुषों की मर्दानगी का प्रतीक थीं.

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हाई हील्स का चलन महिलाओं में तो बहुत बाद में आया, इसके पहले इसे पुरुष पहनते थे. इतना ही नहीं, एक वक़्त तो ऐसा माहौल भी बन गया था कि ऊंची हील के जूते ही पुरुषों को मर्द और दिलेर बना सकते हैं. यहां तक फ़्रांस के शासक लुई चौदहवें की ने लंबा दिखने के लिए 10 इंच ऊंची हील पहनना शुरू कर दिया था.

3. फ़ेडोरा सबसे पहले महिलाओं द्वारा पहने जाते थे.

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फेडोरा कैप पहले महिलाएं पहनती थीं. 20वीं सदी की शुरुआत तक ये महिलाओं में ही पॉपुलर थी. लेकिन फिर 1920 के दशक में प्रिंस एडवर्ड ने इसे अपनाया. बाद में ये टोपी कई हॉलीवुड फ़िल्मों में नज़र आई और इसे मर्दानगी से जोड़कर देखा जाने लगा.

4. पहले आदमी भी करते थे मेकअप.

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प्राचीन मिस्र में फ़ैरो अपनी आंखों पर आइलाइनर लगाते थे. विक्टोरियन काल में भी पुरुषों ने मेकअप करना जारी रखा. हालांकि, समय के साथ-साथ आदमियों का मेकअप करना अश्लील और अशोभनीय माना जाने लगा.

5. 18वीं और 19वीं सदी में पुरुष भी कोर्सेट पहना करते थे.

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आज भले ही महिलाएं ही कोर्सेट पहनती हों, मगर पहले के वक़्त में पुरुष भी इसे पहना करते थे. 18वीं-19वीं में आदमी पतला लगने के लिए कोर्सेट पहनते थे. साथ में फॉर्म-फिटिंग जैकेट भी होती थी. वे अक्सर चिकित्सा प्रयोजनों के लिए भी कोर्सेट पहनते थे. 

6. मध्य युग से पहले पुरुष और महिला दोनों पैंट पहनते थे.

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प्राचीन समय में कई महिलाएं व्यावहारिक कारणों से पैंट पहनती थीं. पश्चिमी यूरोपीय खानाबदोश समूहों की महिलाओं ने पुरुषों के साथ पैंट पहनी थी. केवल मध्य युग में महिलाओं के पैंट पहनने पर रोक लग गई थी. हालांकि, 19वीं सदी से एक फिर पैंट्स धीरे-धीरे महिलाओं के फ़ैशन का हिस्सा बन गई है.

7. लेगिंग और स्टॉकिंग्स.

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लेगिंग्स सबसे पहले मध्य युग में पुरुषों द्वारा पहने जाते थे. उन्हें इमेरजेंसी और सैन्य उपयोग दोनों के लिए उपयुक्त माना जाता था. बाद में, पुरुषों ने लेगिंग को छोटे स्कर्ट जैसे कपड़ों के साथ जोड़ना शुरू कर दिया. 19वीं सदी तक महिलाओं ने लेगिंग जैसी चीजें पहनना शुरू नहीं किया था. 

8. गुलाबी को मर्दाना रंग माना जाता था.

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लाल रंग का ताकत और जुनून से जोड़ा जाता था. और गुलाबी को हल्का लाल समझने के कारण इसे भी एक मज़बूत और मर्दाना रंग की तरह देखा गया. हालांकि, इसे लड़के और लड़िकियां दोनों ही पहन सकते थे. फिर 19वीं शताब्दी के दौरान आदमियों ने ज़्यादा गहरे रंग पहनने शुरू कर दिए और गुलाबी को लड़कियोंं वाला रंग समझा जाने लगा.

9. हैंड बैग आदमी लेकर चलते थे.

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मध्य युग और पुनर्जागरण काल ​​​​में पुरुषों ने सिक्कों, जड़ी-बूटियों, भोजन और व्यक्तिगत सामानों को स्टोर करने के लिए बैग और पाउच का इस्तेमाल किया. फिर कपड़ों में ही पॉकेट बनने लगीं, तो इसकी ज़रूरत कम होने लगी. हालांकि, धनी लोगइन हैंड बैग का इस्तेमाल आगे भी करते रहे थे.

10. कलाई घड़ियां कभी महिलाएं पहनती थीं.

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कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि पहली कलाई घड़ी नेपल्स की रानी के लिए 1800 के दशक में बनाई गई थी. अगले 100 वर्षों के दौरान कई रईस महिलाओं ने कलाई घड़ी का इस्तेमाल किया, जबकि पुरुषों पॉकेट घड़ियों का यूज़ करते थे. 20वीं सदी में पुरुषों द्वारा कलाई घड़ी पहनी जाने लगी और उसके बाद जल्दी ही मर्दानगी से जुड़ गई. हालांकि कुछ समय के लिए उन्होंने उन्हें ‘स्ट्रैप घड़ियां’ कहा था.